Friday, October 31, 2014

चयनित राजकीय शिक्षकों को २३ दिसम्बर तक नियुक्ति पत्र देेने की कोशिश् ः


छह शिक्षाधिकारियों के तबादले

लखनऊ : शासन ने गुरुवार को छह शिक्षाधिकारियों के तबादले कर दिए। माध्यमिक शिक्षा परिषद, इलाहाबाद के उप शिक्षा सचिव विनोद सिंह को वरिष्ठ प्रवक्ता डायट, कुशीनगर के पद पर नई तैनाती दी गई है। राजकीय महिला इंटर कॉलेज, बांदा की प्राचार्य निशा त्रिपाठी को बांदा डायट में वरिष्ठ प्रवक्ता व राजकीय महिला इंटर कॉलेज ललितपुर के प्राचार्य कीर्ति शुक्ला को डायट में वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर नई तैनाती दी गई है। सोनभद्र डायट में वरिष्ठ प्रवक्ता पद पर तैनात विकायल को क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी में उप सचिव बनाया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद के उप सचिव पारस नाथ को वरिष्ठ प्रवक्ता डायट मीरजापुर के पद पर नई तैनाती दी गई है। मनोज वर्मा को वरिष्ठ प्रवक्ता डायट औरैया से इसी पद पर डायट बरेली भेजा गया है।

शिक्षक भर्ती में न्यूनतम अंक अर्हता को चुनौती

इलाहाबाद : प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति में न्यूनतम अंक की अर्हता को लेकर अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने काउंसिलिंग जारी रखने का निर्देश दिया। हालांकि यह भी कहा कि नियुक्तियां दायर याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन मानी जाएंगी। कोर्ट ने प्रदेश सरकार, एनसीटीई व अन्य विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने नीरज कुमार राय व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गयी है जिसके तहत प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकॉम के साथ बीएड में 45 फीसद अंक को अनिवार्य कर दिया गया है। याची का कहना है कि 45 फीसद अंक का मानक तय करना उचित नहीं है। इसकी वजह से अंडर ग्रेजुएट डिग्री धारक चयन प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में यह नियम विभेदकारी व मनमानापूर्ण होने के कारण रद होने योग्य है। विपक्षी अधिवक्ता आरए अख्तर का कहना है कि एनसीटीई ने केंद्र सरकार की समेकित नीति के तहत न्यूनतम अंक अर्हता नियत की है। राज्य सरकार के अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि केंद्र सरकार व एनसीटीई की गाइड लाइन व नियमों का पालन किया है। शैक्षिक गुणवत्ता के कारण सरकार ने ऐसा नियम बनाया है। फिलहाल कोर्ट ने हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।

शिक्षा अधिकारियों की देखरेख में बनेंगे बोर्ड परीक्षा केंद्र

लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों को लेकर होने वाली किरकिरी से बचने के लिए सरकार ने इस बार शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदार बनाया है। अब निदेशालय स्तर के अधिकारियों की देखरेख में ही परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। हर अफसर को दो-दो जिलों का जिम्मा दिया गया है। फिलहाल 25 अधिकारियों की टीम इस काम में लगाई गई है।
प्रमुुख सचिव माध्यमिक शिक्षा डॉ. सूर्य प्रताप सिंह ने शुक्रवार को इसके औपचारिक आदेश जारी कर दिए। शैल यादव को लखनऊ व रायबरेली जिले का जिम्मा दिया गया है। इसी तरह अन्य अधिकारियों को भी जिले की जिम्मेदारियां दी गई हैं। यह अधिकारी अपने-अपने जिलों में जाकर डीएम की अध्यक्षता में होने वाली बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की चयन समिति की बैठक में हिस्सा लेंगे। शिक्षा अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है वे हर तरह से संतुष्ट होने के बाद ही बोर्ड परीक्षा केंद्रों के चयन को अपनी संस्तुति दें।

एलटी ग्रेड शिक्षकों के भर्ती की राह आसान नहीं

  • मेरिट बनाने का फॉमूला तय हुआ
  • लखनऊ मंडल में एक पद के लिए 568 दावेदार, 
लखनऊ। एलटी ग्रेड शिक्षकों के भर्ती की राह आसान नहीं है। एक-एक सीट के सैकड़ों दावेदार हैं। लखनऊ मंडल में ही 471 पदों के लिए 2,67,571 आवेदन पत्र आए हैं। यानी एक सीट के 568 दावेदार हैं। शुक्रवार को शिक्षा विभाग ने एलटी भर्ती के लिए मेरिट बनाने का फॉर्मूला भी तय कर दिया।
एलटी ग्रेड के प्रदेश भर में 6,645 पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। मंडलवार होने वाली भर्ती में 28 नवंबर को मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद 15 दिसंबर तक काउंसलिंग होगी। 23 दिसंबर तक एलटी शिक्षकों को नियुक्तियां प्रदान कर दी जाएंगी।
ऐसे बनाई जाएगी मेरिट
हाईस्कूल में प्राप्त प्रतिशत का 10 प्रतिशत अंक मेरिट में जोड़ा जाएगा। यानी किसी अभ्यर्थी के हाईस्कूल में 70 प्रतिशत अंक हैं तो मेरिट में सात नंबर जोड़े जाएंगे। इंटर में कुल प्राप्त प्रतिशत का 20 प्रतिशत अंक व स्नातक में कुल प्राप्त प्रतिशत का 40 प्रतिशत अंक जोड़ा जाएगा। इसी प्रकार बीएड फर्स्ट डिवीजन वाले अभ्यर्थियों के 12, सेकंड डिवीजन वाले अभ्यर्थियों के छह व थर्ड डिवीजन वाले अभ्यर्थियों के तीन प्रतिशत अंक मेरिट में जोड़े जाएंगे। बीएड के प्रैक्टिकल व लिखित परीक्षा दोनों में ही इसी तरह के अंक जोड़े जाएंगे।


विकलांग व सामान्य की एक मेरिट को चुनौती

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में टीईटी पास अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक नियुक्त करने में विकलांगों का कट-ऑफ-मेरिट सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के समान रखने की वैधता पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई की तारीख पांच दिसंबर नियत की है। कोर्ट ने पांच याचियों के लिए पांच पद आरक्षित रखने का भी आदेश दिया है। 1यह आदेश न्यायमूर्ति राजन राय ने बलिया, मऊ के निवासी राम विलास व अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता आलोक यादव का कहना है कि अमरोहा, बस्ती, कन्नौज जिलों का कट-ऑफ-मेरिट विकलांगों व साधारण अभ्यर्थियों का 120 अंक नियत किया है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग का कट-ऑफ मेरिट कम है। इस व्यवस्था से विकलांग कोटे का उद्देश्य ही विफल हो रहा है। दूसरी तरफ एलटी डिग्रीधारक विवेक चंद्रा को भी सहायक अध्यापक भर्ती काउंसिलिंग में शामिल होने की कोर्ट ने अनुमति दी है और कहा है कि यह याचिका के निर्णय की विषय वस्तु होगी। याची का कहना है कि एलटी डिग्री, बीएड के समकक्ष मानी गई है। बीएड वालों को काउंसिलिंग में बैठने की अनुमति दी गई है।

एलटी डिग्री वाले को भी मिली अनुमति

  •  72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला
इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी चयन प्रक्रिया में एलटी डिग्री धारक छात्र विवेक चंद्रा को भी प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है। विवेक ने याचिका दाखिल कर कहा था कि बीएड डिग्री धारकों को काउंसलिंग में शामिल किया जा रहा है जबकि एलटी और बीएड समकक्ष डिग्रियां हैं। कोर्ट ने याची को औपबंधिक रूप से प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कहा है मगर चयन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। याचिका पर न्यायमूर्ति रंजन रॉय ने सुनवाई की। एक अन्य मामले में सहायक अध्यापक भर्ती हेतु विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों का कट ऑफ मार्क सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के बराबर रखे जाने को चुनौती दी गई है।
कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले पर पांच नवंबर को सुनवाई होगी। रामविलास और पांच अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति रंजन रॉय ने पांच पद आरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है।

एक घंटा पहले खुलेंगे राजकीय और अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालय-

  • अब सुबह 8.50 बजे शुरू होगी पढ़ाई

  • माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी किया शासनादेश

लखनऊ : शासन ने राजकीय और अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की समय-सारिणी में बदलाव कर दिया है। इन विद्यालयों में पहली अक्टूबर से 31 मार्च तक पढ़ाई का समय सुबह 8.50 से अपराह्न् 2.50 बजे तक निर्धारित कर दिया है। लिहाजा विद्यालयों में अब से लेकर 31 मार्च तक एक घंटा पहले पढ़ाई शुरू होगी और खत्म भी। वहीं पहली अप्रैल से 30 सितंबर तक इन विद्यालयों में सुबह 7.30 से दोपहर 12.30 बजे तक पढ़ाई होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है। अब तक राजकीय और अशासकीय सहायताप्राप्त विद्यालयों में पहली अगस्त से 31 मार्च तक सुबह 9.50 से अपराह्न् 3.50 बजे तक पढ़ाई होती थी। वहीं अप्रैल से जुलाई तक इन विद्यालयों में सुबह 7.30 से दोपहर 12.30 बजे तक शिक्षण कार्य होता था। हाल ही में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय सम्मेलन में माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने कहा था कि बालिकाओं की सुरक्षा के मद्देनजर वह जाड़े के मौसम में स्कूलों का समय बदलने जा रहे हैं। बकौल मंत्री, अभिभावकों ने उनसे अनुरोध किया था कि चूंकि जाड़े में अंधेरा जल्द हो जाता है, लिहाजा स्कूलों में पढ़ाई थोड़ा जल्दी शुरू कर दी जाए जिससे कि छुट्टी भी जल्दी हो सके। मंत्री की घोषणा के क्रम में विभाग ने आदेश जारी कर दिया है।

Thursday, October 30, 2014

छात्राएं नहीं जानती डायल 1090 - जीजीआईसी में कार्याशाला का हुआ आयोजन

  • आकांक्षा समिति अध्यक्ष ने छात्राओं को किया जागरूक
  • कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का किया निरीक्षण
 
फर्रुखाबाद। आकांक्षा समिति की अध्यक्ष ने राजकीय बालिका इंटर कालेज फतेहगढ़ में आयोजित कार्यशाला में बालिकाओं को स्वावलंबी बनने की सीख दी। इस मौके पर छात्राओं को 1090 हेल्पलाइन के बारे में जानकारी न होने की बात सामने आई। उन्होंने विद्यालय और फिर आंगनबाड़ी केंद्र व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय राजेपुर का निरीक्षण किया। यहां बालिकाओं के लिए चल रही योजनाओं का सभी को लाभ दिए जाने के निर्देश दिए हैं।
राजकीय बालिका इंटर कालेज फतेहगढ़ में बुधवार को आकांक्षा समिति की ओर से कार्याशाला का आयोजन हुआ। इसमें समिति अध्यक्ष जिलाधिकारी एनकेएस चौहान की पत्नी निशा चौहान ने बालिकाओं को स्वावलंबी बनने की नसीहत दी। उन्होंने कक्षा 11 की छात्राओं से डायल 1090 के संबंध में पूछा । छात्राएं नहीं बता पाई कि इस नंबर का प्रयोग किस समय करना चाहिए। समिति अध्यक्ष ने प्रधानाचार्या मीना यादव को डायल 1090 के संबंध में सभी को जानकारी देने के निर्देश दिए। मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिए जाने की भी बात कही। विद्यालय में बने शौचालयों का निरीक्षण किया। उन्हाेंने गंदगी मिलने पर नाराजगी जताई। प्रधानाचार्या को विद्यालय प्रागंण में सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। इसके बाद वार्ड संख्या 27 अशोक नगर के आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया। यहां 47 पंजीकृत बच्चों में से चार पांच बच्चे मौजूद मिले। कार्यकत्री छाया सक्सेना, सहायिका सीमा सक्सेना ड्रेस कोड में केंद्र पर नहीं आई थीं। अभिलेख अधूरे मिलने पर उन्होंने सीडीपीओ मनीषा चौरसिया से नाराजगी जताई। टीकाकरण न होने की जानकारी पर जिला समाज कल्याण अधिकारी ललिता यादव ने कहा कि मानदेय मिलता है तो काम भी करना पड़ेगा। उन्होंने केंद्र पर पंजीरी को चखकर इसकी जांच ङी की। इसके बाद समिति अध्यक्ष ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय राजेपुर का निरीक्षण किया। बालिकाओं से सामग्री मिलने की जानकारी ली। सफाई व्यवस्था देखी। यहां कमियां मिलने पर वार्डन को सुधार के निर्देश दिए।

फीस वापस न करने पर निजी स्कूलों को फटकार

  • छठे वेतन आयोग की सिफारिशों की आड़ में फीस बढ़ाने का मामला
  • न्यायमूर्ति अनिल देव सिंह का वेतन न देने पर सरकार के प्रति भी नाराजगी जताई
  • 242 निजी स्कूलों को ब्याज सहित बढ़ी फीस वापसी का हाईकोर्ट ने दिया था निर्देश
 
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने 6वें वेतन आयोग की सिफारिशों की आड़ में बच्चों से अधिक फीस वसूलने वाले राजधानी के निजी स्कूलों को आदेश के बावजूद फीस वापस न करने पर फटकार लगाई है। अदालत ने कहा यह काफी गंभीर मामला है। अदालत ने न्यायमूर्ति अनिल देव कमेटी के वेतन संबंधी बिलों को भी पास न करने पर नाराजगी जताई है।
न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ के समक्ष पेश याची के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद 242 स्कूलों में से एक भी स्कूल ने फीस वापस नहीं की। उन्होंने कहा कि अब फीस वापसी करने वाले स्कूलों की संख्या बढ़कर 373 हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा निदेशालय फीस वापस दिलवाने में असमर्थ है ऐसे में यदि स्कूलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए तो अदालत के निर्देश पर ही फीस वापस दिलवाई जा सकती है। उधर गठित कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अनिल देव सिंह ने रिपोर्ट पेश कर अदालत को बताया कि स्कूलों ने 6वें वेतन आयोग की सिफारिशों की आड़ में अधिक फीस वसूली है लेकिन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया। इसके अलावा काफी स्कूल है जिनके खाते ठीक नहीं है या उन्होंने पेश नहीं किए। अदालत ने स्कूलों के रवैये पर उन्हें फटकार लगाते हुए शिक्षा निदेशालय को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर तय की है।

बड़े जिलों में प्रशिक्षु शिक्षक बनने की राह नहीं आसान

लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में बड़े जिलों में शिक्षक बनने की राह आसान नहीं है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को मिले जिलेवार ब्यौरे के आधार पर रिक्तियों पर नजर डाले तो लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ जैसे शहरों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी में सर्वाधिक अंक होने चाहिए। लखनऊ में चार, गौतमबुद्धनगर में छह तो मेरठ में आठ पद रिक्त बचे हैं। जब छोटे जिलों में अभी भी रिक्त पदों की संख्या अधिक है। जानकारों की मानें तो प्रशिक्षु शिक्षक के लिए जारी होने वाली तीसरी मेरिट में अधिकतम पांच अंक तक ही गिर सकती है।
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए तीसरी काउंसलिंग 3 से 12 नवंबर तक होनी है। एससीईआरटी ने एनआईसी को जिलेवार भरे और रिक्त पदों का ब्यौरा उपलब्ध करा दिया है। एनआईसी ने वेबसाइट खोल दी है। डायट प्राचार्य और बेसिक शिक्षा अधिकारी अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन के आधार पर इसमें 31 अक्तूबर को 10 बजे तक गल्तियां ठीक कर सकते हैं। इसके बाद 1 नवंबर की देर रात या फिर 2 नवंबर को तीसरे चरण की काउंसलिंग की मेरिट जारी कर दी जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक बड़े जिलों में प्रशिक्षु शिक्षकों के अधिकतर पद भर चुके हैं, जबकि छोटे जिलों में अभी भी पद खाली हैं। सीतापुर और लखीमपुर खीरी जैसे जिलों में भी अभी ठीक-ठाक रिक्तियां हैं।
लखनऊ में चार तो गौतमबुद्ध नगर में छह पद ही खाली
कहां कितने पद खाली
आगरा 38, अलीगढ़ 24, अंबेडकरनगर 163, अमेठी 9, अमरोहा 69, आजमगढ़ 496, औरैया 6, बागपत 30, बलिया 7, बलरामपुर 1518, बांदा 347, बाराबंकी 128, बरेली 787, बस्ती 183, बहराइच 2796, भदोही 221, बिजनौर 43, बदायूं 880, बुलंदशहर 18, चंदौली 436, चित्रकूट 171, देवरिया 362, एटा 121, इटावा 80, फैजाबाद 118, फर्रुखाबाद 110, फतेहपुर 5, फिरोजाबाद 21, गौतमबुद्ध नगर 6, गाजियाबाद 8, गाजीपुर 6, गोंडा 1879, गोरखपुर 140, हमीरपुर 128, हापुड़ 7, हरदोई 742, हाथरस 37, जौनपुर 497, झांसी 18, कन्नौज 88, कानपुर देहात 17, कानपुर नगर 5, कौशांबी 478, लखीमपुर खीरी 1591, ललितपुर 272, लखनऊ 4, महोबा 453, महाराजगंज 1913, मैनपुरी 31, मथुरा 4, मऊ 64, मेरठ 8, मिर्जापुर 952, मुरादाबाद 232, मुजफ्फरनगर 81, पीलीभीत 983, प्रतापगढ़ 211, रायबरेली 290, रामपुर 515, सहारनपुर 158, संभल 157, संतकबीर नगर 431, शामली 75, श्रावस्ती 852, सीतापुर 680, सोनभद्र 935, सुल्तानपुर 898, उन्नाव 68, वाराणसी 36 व इलाहाबाद 373 में प्रशिक्षु शिक्षक के पद रिक्त हैं। पांच जिलों का ब्यौरा नहीं मिल पाया है।
दूसरी काउंसलिंग की सबसे कम मेरिट
महिला कला सामान्य 107 कुशीनगर
महिला एससी 88 बहराइच
महिला एसटी 83 इलाहाबाद
महिला ओबीसी 100 कुशीनगर व लखीमपुर
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पुरुष कला सामान्य 117 सीतापुर व लखीमपुर
पुरुष कला एससी 103 सीतापुर व लखीमपुर
पुरुष एसटी 83 लखीमपुर
पुरुष ओबीसी 111 लखीमपुर
महिला विज्ञान सामान्य 107 बहराइच
महिला एससी 83 आजमगढ़, बलरामपुर
महिला एसटी 83 आगरा व अधिकतर जिले
महिला ओबीसी 97 गोंडा

यूनिवर्सिटीज व राजकीय डिग्री कॉलेजों को हाईस्पीड ब्राडबैंड सुविधा

लखनऊ । प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी व 139 राजकीय डिग्री कॉलेजों में हाईस्पीड ब्राडबैंड की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। अभी तक नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) के तहत हाईस्पीड ब्राडबैंड सेवा कुछ चुनिंदा शोध एवं शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध करवाई जा रही है। इससे इंटरनेट पर ई-जर्नल पढ़ना और एजुकेशन से जुड़ी वेबसाइट खोलना आसान होता है।
अभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। ऐसे में लाइब्रेरी में ई-जर्नल पढ़ने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उपलब्ध वेबसाइट पर निशुल्क सर्च करने की सुविधा नहीं मिल पाती है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस दौर में इंटरनेट की कनेक्टिविटी न मिल पाना बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। उच्च शिक्षा विभाग ने एनआईसी के डायरेक्टर जनरल को पत्र लिखकर नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) कनेक्टिविटी के तहत इंटरनेट की बेहतर सुविधा दिए जाने की मांग की है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा कल्पना अवस्थी ने एनआईसी, भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि एनकेएन कनेक्टिविटी के तहत ही यूपी के सभी 14 यूनिवर्सिटी व 139 राजकीय डिग्री कॉलेजों में यह सुविधा उपलब्ध करवाएं।
उदाहरण के तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय ने ही सभी विभागों व कार्यालयों में कम्प्यूटर लगवाए हैं लेकिन यहां पर करीब छह महीने पहले जब राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम दौरा करने आई थी तब भी बीएसएनएल का ब्राडबैंड दगा दे रहा था।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले राजकीय व सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज एक नवंबर से एक घंटे पहले खुलेंगे स्कूल

  • सर्दी के मद्देनजर राजकीय व सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों का बदलेगा समय
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले राजकीय व सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज एक नवंबर से एक घंटे पहले खुलेंगे। यानी स्कूलों का खुलने का समय 9.50 के बजाय 8.50 होगा। सर्दी के मद्देनजर टाइमटेबल में यह बदलाव किया जाएगा। जाड़े के दौरान स्कूलों में 5.20 घंटे ही पढ़ाई होगी। वहीं गर्मी की छुट्टियां अब 20 मई के बाद होंगी। अभी छुट्टियां मई के शुरुआत में ही कर दी जाती हैं। शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर सहमति बन गई है। जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी किया जा सकता है।
राजकीय व सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों का सत्र जुलाई से बदल कर एक अप्रैल से कर दिया गया है इसलिए स्कूलों का समय भी बदला जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक गर्मी का सत्र पहले 31 जुलाई से 31 अक्तूबर तक माना जाता रहा है और कक्षाएं 7.30 से 12.30 बजे तक लगती रही हैं।
गर्मी के दिनों में स्कूल समय में तो कोई बदलाव नहीं किया जाएगा लेकिन सत्र एक अप्रैल से 30 सितंबर तक जाना जाएगा और जाड़े का एक नवंबर से 31 मार्च तक माना जाएगा। जाड़े में 8.50 बजे स्कूल खुलेगा और दोपहर 2.10 बजे छुट्टी होगी। उच्चाधिकारियों का मानना है कि इससे बच्चों को एक घंटे पहले घर जाने का मौका मिलेगा। रही बात कड़ाके की ठंड की तो जिलाधिकारी व जिला विद्यालय निरीक्षण अपने हिसाब से स्कूल के समय में परिवर्तन कर सकेंगे।

चयन कैसे होगा पता नहीं, पहुंच गए पांच लाख आवेदन

  • जीआईसी में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती
इलाहाबाद । प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजों (जीआईसी) में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन का 30 अक्तूबर को अंतिम तिथि है। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए अब तक पांच लाख से अधिक आवेदन पहुंच चुके हैं। इन पदों के चयन के लिए शासन की ओर से क्या मानक तय है, इस बारे में अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है। शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाले बीएड बेरोजगारों ने शासन से लिखित परीक्षा के जरिए चयन करने की मांग की है।
जीआईसी-जीजीआईसी में खाली शिक्षकों के पदों पर भर्ती के लिए अंतिम तिथि से एक दिन पहले तक पांच लाख से अधिक आवेदन पहुंच चुके हैं। अंतिम तिथि तक उम्मीद है कि यह संख्या छह लाख तक पहुंच जाएगी। इन पदों के लिए आवेदन करने वाले एक अभ्यर्थी ने प्रदेश के सभी मंडलों केलिए आवेदन किए हैं। इस प्रकार एक अभ्यर्थी एक फार्म के लिए कम से कम 200 रूपये खर्च किया है। सभी मंडल के लिए आवेदन की स्थिति में अभ्यर्थी ने 3600 रूपये खर्च किए हैं। एक बार फिर से मोटी रकम खर्च करने के बाद फिर से बीएड बेरोजगार ठगे जाने को तैयार हैं।

प्रभा त्रिपाठी को फिर से मिलेगी सचिव की कमान

  • यूपी बोर्ड की सचिव शकुंतला यादव के वीआरएस मांगने के बाद शासन ने विकल्प खोजना शुरू किया
  • यूपी बोर्ड सचिव के पद पर प्रभा के अनुभव को ध्यान में रखकर शासन ने जताई सहमति 
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की सचिव की ओर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगे जाने के बाद उनके उत्तराधिकारी की खोज शुरू हो गई है। शासन की ओर से एक बार फिर से बोर्ड की पूर्व सचिव एवं वर्तमान में अपर शिक्षा निदेशक मुख्यालय प्रभा त्रिपाठी को बोर्ड सचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है। उनके नाम पर फैसला एक-दो दिन में होने की संभावना है।
शकुंतला यादव के वीआरएस को शासन को विचार के लिए स्वीकार कर लिए जाने के बाद शासन की ओर से शिक्षा निदेशालय से प्रभा त्रिपाठी की फाइल मंगाकर उनको सचिव पद नियुक्त करने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रभा त्रिपाठी के पूर्व में बोर्ड सचिव के तौर पर सफलता पूर्वक काम करने और उनके अनुभव को देखते हुए शासन इस पर विचार कर रहा है। शिक्षा निदेशालय के सूत्रों ने बताया कि उनके नाम पर लगभग मंजूरी मिल गई है। पता चला है कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने सचिव के लिए कई नामों पर विचार के बाद बोर्ड परीक्षा की तैयारियों के मद्देनजर प्रभा त्रिपाठी केनाम पर अपनी सहमति जताई है।
शासन के सूत्रों ने भी बताया कि यूपी बोर्ड की ओर से इस समय केन्द्र निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में परीक्षा तैयारी प्रभावित न हो इसलिए अनुभवी अधिकारी को कमान सौंपने की तैयारी है। प्रभा त्रिपाठी पूर्व बसपा सरकार के दौरान लगभग चार वर्ष तक यूपी बोर्ड की सचिव रह चुकी हैं। उनके नाम को लेकर शिक्षा निदेशालय एवं बोर्ड कार्यालय में दिन भर चर्चा चलती रही।

सहायक समीक्षाधिकारी के 657 पदों की भर्ती पर रोक

इलाहाबाद : हाईकोर्ट में सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) के 657 पद की भर्ती प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। यह रोक सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लगाई है। साथ ही हाईकोर्ट इलाहाबाद से चार सप्ताह में जवाब भी तलब किया है। इसकी अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायिक पीठ ने वर्ष 2009 में सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) के 468 पदों का विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती प्रक्रिया में 80 नंबर की मुख्य परीक्षा हुई और 20 नंबर की कंप्यूटर टाइपिंग परीक्षा हुई। कंप्यूटर टाइपिंग की परीक्षा हाईकोर्ट के ही सिस्टम सेल ने कराई थी। आरोप है कि इसमें व्यापक अनियमितता हुई। दरअसल हर अभ्यर्थी को दस मिनट में 500 शब्द टाइप करने थे और एक से लेकर चाहे जितनी गलतियां हो पर कंप्यूटर दो ही नंबर काटता था। इस पर अभ्यर्थियों ने प्रकरण को कोर्ट में चुनौती दी। आशीष सिंह ने 27 अगस्त 2012 को न्यायाधीश अरुण टंडन की कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें न्यायाधीश टंडन ने एक महीने में नए नियम बनाकर कापियों का पुनमरूल्यांकन करने एवं आरक्षण का भी पालन करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने इसका अनुपालन करने के बजाए 2012 में ही स्पेशल कोर्ट में न्यायाधीश सुनील अंबवानी एवं सूर्य प्रकाश केसरवानी की कोर्ट में अपील की तो दोनों न्यायाधीशों ने अरुण टंडन के आदेश को खारिज कर दिया। इस पर आशीष सिंह ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट में नवंबर 2013 में एसएलपी दायर की। इसी बीच हाईकोर्ट ने फिर 2014 में एआरओ 189 पदों का विज्ञापन निकाला तो रिट में उसे भी शामिल किया गया। न्यायाधीश टीएस ठाकुर, आदर्श कुमार गोयल एवं आर भानुमती ने हाईकोर्ट इलाहाबाद के स्पेशल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक याचिका का निपटारा नहीं हो जाता तब तक एआरओ पद पर भर्ती की प्रक्रिया ठप रहेगी। जजों ने हाईकोर्ट से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

Wednesday, October 29, 2014

कॉलेजों में नहीं शिक्षक, कैसे हो पढ़ाई

  • राजकीय कॉलेजों में नियमित कक्षाएं चल पाना मुश्किल 

  • आधे से अधिक शिक्षक सरकारी कार्यो में संबद्ध

जागरण संवाददाता, लखनऊ : राजकीय कॉलेजों में पढ़ाई ठप होने के कगार पर है। यह हाल तब है जब बोर्ड परीक्षाओं में कुछ ही महीने बचे हैं और शिक्षक पढ़ाने के बजाए दूसरे सरकारी कार्यो के लिए संबद्ध कर दिए गए हैं। कॉलेजों में नियमित कक्षाएं चलना मुश्किल हो गया है। कई कॉलेजों ने तो बाकायदा पत्र लिखकर संबद्ध शिक्षकों को रिलीव करने को कहा है। 1एक नजर डालते हैं शहर के कुछ प्रमुख राजकीय स्कूलों पर जिनके आधे शिक्षक दूसरे जगहों पर अटैच हैं। राजकीय जुबली इंटर कॉलेज में 27 शिक्षक विभिन्न सरकारी कार्यो में संबद्ध हैं। वहीं हुसैनाबाद कॉलेज के 26 शिक्षक, निशातगंज राजकीय इंटर कॉलेज के 25 शिक्षक, सरोजनीनगर सैनिक स्कूल के 13 शिक्षक, राजकीय बालिका विद्यालय नरही से सात शिक्षिका, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज श्रंगारनगर की चार शिक्षिका, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज विकासनगर से सात शिक्षिका, राजकीय बालिका इंदिरानगर की दस शिक्षिकाओं को संबद्ध किया गया है। 1राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय महामंत्री छाया शुक्ला का कहना है कि सरकार अप्रैल से सत्र नियमित करने के दावे तो ठोंक रही है लेकिन हकीकत कोसों दूर है। बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी में होनी हैं और प्रयोगात्मक परीक्षाएं एक महीने बाद शुरू हो जाएंगी। इसके बावजूद राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों को सरकारी कार्यो के लिए संबद्ध किया जा रहा है। कई कॉलेजों में तो नियमित कक्षाएं तक नहीं चल पा रही हैं। पढ़ाई पर इसका जबर्दस्त असर पढ़ रहा है लेकिन अफसर सुनने को तैयार नहीं है। शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य के लिए जब वक्त ही नहीं मिलेगा तो परिणाम कहां से बेहतर मिलेंगे। राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री और प्रमुख सचिव माध्यमिक को पत्र लिखकर शिक्षकों का संबद्धीकरण खत्म करने को कहा है जिससे कॉलेजों में कक्षाएं सुचारू ढंग से चल सकें।

एक दिन में बहाल हुए सवा दो सौ शिक्षक - आन्‍दोलन हुआ कामयाब

एक दिन में बहाल हुए सवा दो सौ शिक्षक

सुल्तानपुर : आखिरकार तीन माह से बहाल की बाट जोह रहे सवा दो सौ बेसिक शिक्षकों के घर दीवाली की खुशी लौट आयी है। देर से ही सही बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्कूलों में गैरहाजिर मिलने पर निलंबित किए गए सभी शिक्षकों को बहाल कर दिया है। मंगलवार की शाम इस आशय का आदेश जारी कर दिया गया। हालांकि अभी आरोप पत्र का उत्तर न मिलने की वजह से बारह शिक्षकों की बहाली लटकी हुई है। विदित हो कि जुलाई के आखिरी हफ्ते से ही बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेश यादव ने बेसिक स्कूलों का औचक निरीक्षण शुरू किया। जिसमें गैरहाजिर मिलने वाले करीब सवा दो सौ शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया था। तब अधिकारी ने कहा था कि सभी निलंबित शिक्षकों को सामूहिक रूप से बहाल कर दिया जाएगा लेकिन बहाल हुए सिर्फ 52 शिक्षक। अन्य साथियों की बहाली को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ (लल्लन) गुट ने पहले अनुरोध किया, जब अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगी तो काली पट्टी बांध विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। दीपावली मनाने के बजाय बीएसए दफ्तर में शिक्षकों ने काला दिवस मनाया। इस लड़ाई में चौबीस घंटे पहले जबर गुट भी कूद पड़ा। बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। आखिरकार आंदोलन रंग लाया। बीएसए यादव ने सभी शिक्षकों की बहाली का फैसला करते हुए कहा है कि आरोप पत्र का उत्तर मिलते ही शेष बारह शिक्षकों की भी बहाली कर दी जाएगी।
जताया हर्ष : सुल्तानपुर : प्राथमिक शिक्षक संघ लल्लन व जबर गुट ने शिक्षकों की बहाली के फैसले को देर से आया सही निर्णय कहा है। शिक्षक नेताओं दिलीप, निजाम अहमद, गंगा दूबे, रणवीर, श्रीचंद्र मौर्य आदि ने बहाल हुए शिक्षकों से तन्मयता के साथ शिक्षण कार्य में जुटने का आह्वान किया है!

बदलेगा परिषदीय विद्यालयों का समय - नौ बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच तय करने का फैसला

  • निदेशक बेसिक शिक्षा ने शासन के पास भेजा प्रस्ताव
इलाहाबाद (ब्यूरो)। प्रदेश में अप्रैल से माध्यमिक एवं बेसिक स्कूलों का सत्र लागू करने की तैयारी में लगे शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों का समय बदलने का फैसला किया है। इस बारे में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की पहल के बाद अब निदेशक बेसिक शिक्षा दिनेश बाबू शर्मा ने परिषदीय विद्यालयों को खोलने और बंद करने का समय प्रात: नौ बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच तय करने का फैसला किया है।
विद्यालयों को खोलने एवं बंद करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर निदेशक बेसिक शिक्षा ने शासन की सहमति के लिए भेजा है। इस प्रस्ताव पर सहमति मिलने के बाद परिषदीय विद्यालयों को प्रात: नौ बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच खोला जाएगा।

हटाईं जाएंगी वीआरएस मांगने वाली सचिव माध्यमिक शिक्षा

खनऊ (ब्यूरो)। सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद शकुंतला यादव को जल्द ही हटाकर इस पद पर नई तैनाती की जाएगी। इसके लिए विभागीय स्तर पर कवायद भी शुरू हो गई है। शकुंतला यादव मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक अवध नरेश शर्मा से मिलीं और अपना दुखड़ा रोया। वहीं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा डॉ. सूर्य प्रताप सिंह का कहना है कि यदि कोई अधिकारी वीआरएस लेना चाहता है तो ले सकता है, बशर्ते उसे इसके लिए निर्धारित फॉर्म को भर कर देना होगा। आरोपों के आधार पर वीआरएस नहीं मांगा जा सकता है।
शकुंतला यादव की तैनाती प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही हुई। उन्हें तत्कालीन निदेशक बासुदेव यादव का खास माना जाता है। उनके रिटायर होने के बाद से ही वे इस पद से हटना चाहती थीं। विभागीय जानकारों की मानें तो वह मौखिक रूप से कह भी चुकी थीं। उनके कहने के बाद भी नहीं हटाया गया तो उन्होंने माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति व निदेशक अवध नरेश शर्मा को पत्र लिखकर वीआरएस देने का अनुरोध किया। पत्र से मामला गरमा गया। उन्होंने पत्र में दबाव होने संबंधी बातें लिखीं। जबकि शासन इन्कार कर रहा है। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा कहते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है। परिषद की सचिव के ऊपर कोई दबाव नहीं है।

गणित-विज्ञान शिक्षकों की रिक्तियों का मांगा ब्यौरा

लखनऊ। उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित शिक्षकों की भर्ती के लिए पांचवें चरण की काउंसलिंग के बाद रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा गया है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को मंगलवार को निर्धारित प्रारूप भेजते हुए 31 अक्तूबर तक पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने पूछा है कि पांचवें चरण की काउंसलिंग में कितने अभ्यर्थी शामिल हुए। इसमें से कितने पात्र पाए गए तथा अभी कितने पद रिक्त हैं।

प्रशिक्षु शिक्षकों के 34 हजार पद अब भी खाली -ऑनलाइन संशोधन के लिए दो दिन खुलेगी वेबसाइट

लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों में चल रही 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में दो चरण की काउंसलिंग के बाद अब भी 34,442 पद खाली हैं। हालांकि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) जिलेवार मिले ब्यौरे का मिलान कर रहा है। इसके बाद खाली पदों के लिए तीसरे चरण की काउंसलिंग होगी। इससे पहले दो दिन के लिए वेबसाइट खोली जाएगी जिससे डायट प्राचार्य त्रुटियां ठीक कर सकें।
तीसरे चरण की काउंसलिंग 3 से 12 नवंबर तक प्रस्तावित है। एससीईआरटी ने दूसरी काउंसलिंग में योग्य अभ्यर्थियों का ब्यौरा जिलेवार मांगा था। जानकारों की मानें तो जिलेवार ब्यौरे के मुताबिक करीब 38,383 अभ्यर्थियों को अर्ह पाया गया है तथा 34,442 पद खाली हैं। जिन अभ्यर्थियों को योग्य पाया गया है उनका शिक्षक बनना तय है। इसलिए अगले चरण की काउंसलिंग से उनका नाम हटा दिया जाएगा। एससीईआरटी ने मंगलवार को पूरा ब्यौरा एनआईसी को सौंप दिया है। एनआईसी इस ब्यौरे के आधार पर मिलान करेगा और अर्ह मिलने वालों के नाम अगली काउंसलिंग से हटाएगा। इसके बाद शेष अभ्यर्थियों और रिक्त पदों के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जाएगा।

मियाद खत्म होने को नहीं आया आदेश -

  • कालेजों में कक्षा 9 और 11 के ऑनलाइन पंजीकरण का मामला

इलाहाबाद : माध्यमिक कालेजों में कक्षा नौ और ग्यारह के छात्र-छात्रओं के पंजीकरण की तिथि बढ़ाने का एलान हुए एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अब तक शासनादेश नहीं आया है। अखबारों में मंत्री का बयान छपने के बाद से परिषद कार्यालय पर लोग पूछताछ कर रहे हैं और सभी को ‘ना’ में जवाब मिल रहा है।  इससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है। माध्यमिक शिक्षा परिषद हर साल अगस्त व सितंबर महीने में कक्षा नौ और ग्यारह के छात्र-छात्रओं का पंजीकरण कराता है। इस बार भी ऑनलाइन पंजीकरण कराया गया। कुछ स्कूल पंजीकरण कराने से चूक गए हैं। उन्होंने परिषद कार्यालय में दबाव बनाया, लेकिन असफल रहने पर विभागीय मंत्री से भी अनुरोध किया। माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने एक समारोह में एलान किया कि पंजीकरण 31 अक्टूबर तक कराया जाएगा। इसके बाद से कालेज प्रबंधक खासे गदगद थे। यह आदेश अखबारों की सुर्खियां बना,लेकिन अब तक शासनादेश की शक्ल नहीं ले पाया है। शिक्षा मंत्री का आदेश अभी शासनादेश के रूप में नहीं आया है इसलिए पंजीकरण का दूसरा चरण शुरू नहीं किया गया है, आदेश आने पर ही अमल होगाकामता राम पाल अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद।

तलब की ऑनलाइन शासनादेश में हीलाहवाली पर रिपोर्ट

  • मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने 31 तक मांगी रिपोर्ट

लखनऊ : ऑनलाइन शासनादेश जारी करने के आदेश को तवज्जो नहीं दिए जाने पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राकेश बहादुर ने सभी विभागों से रिपोर्ट तलब की है। इस संबंध में 31 अक्टूबर को सभी विभागों की बैठक बुलाई गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसमें हीलाहवाली पर नाराजगी जताई है। पिछले वर्ष अप्रैल में सभी विभागों को अनिवार्य रूप से ऑनलाइन शासनादेश जारी करने का निर्देश दिया गया था। सचिवालय प्रशासन विभाग को नोडल विभाग बनाकर एनआइसी के माध्यम से देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी। शासनादेशों को ऑनलाइन अपलोड करने की जिम्मेदारी सचिवालय के सभी विभागों की है। ऑनलाइन जारी होने के बाद इसे वेबसाइट http://shasanadesh.up.nic.in/ और http://esangrah.up.nic.in/ पर देखा जा सकता है। वर्तमान में कई विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसमें कारागार प्रशासन एवं सुधार, खादी एवं ग्रामोद्योग, प्राविधिक शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण, नगरीय रोजगार एवं गरीबी, भूतत्व एवं खनिकर्म और चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग आदि प्रमुख हैं। वित्त, आवास और चिकित्सा एवं शिक्षा जैसे विभागों में ऑनलाइन शासनादेश जारी करने के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है। 

गाजीपुर के खंड शिक्षा अधिकारी निलंबित लखनऊ : शासन ने मंगलवार को गाजीपुर के सादात ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी सुनील चौबे को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप था कि वह शासनादेशों के विपरीत ब्लॉक के शिक्षकों के तबादले कर रहे थे। गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मामले की जांच करके उनके खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी थी। इसी के आधार पर उक्त फैसला लिया गया।

Monday, October 27, 2014

नौवीं और बारहवीं के छात्रों पर बोझ कम करने के लिए बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला, सूत्रों का सही प्रश्न में प्रयोग करने पर स्टेप मार्किंग के जरिए दिए जाएंगे अंक-

  • सीबीएसई ने दी विद्यार्थियों को बड़ी राहत, विज्ञान-गणित के पर्चे में होंगे जरूरत के सभी सूत्र
  • अब रटने की जरूरत नहीं, पेपर में ही होंगे फार्मूले
इलाहाबाद। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नौवीं से बारहवीं तक के गणित एवं विज्ञान के प्रश्नपत्र के पैटर्न में बदलाव करके छात्रों पर से बोझ कम करने की पहल की है। बोर्ड की ओर से अब गणित एवं विज्ञान के पर्चे में पूछे गए सवाल से जुड़े सूत्रों को भी उस प्रश्नपत्र में ही उल्लेख करने का फैसला किया है। इन सूत्रों का प्रयोग परीक्षार्थी अपनी आवश्यकता अनुसार कर सकेगा। बोर्ड की इस पहल से जहां बच्चे के बौद्घिक स्तर को परखने की कोशिश की जाएगी, वहीं प्रश्नपत्र में उल्लिखित सूत्रों का सही प्रश्न में प्रयोग करने पर परीक्षार्थी को स्टेप मार्किंग के जरिए अंक दिए जाएंगे।
सीबीएसई की ओर से छात्रों की तैयारी परखने के लिए अब सवालों के साथ उसमें प्रयोग में आने वाले फार्मूले को उपलब्ध कराने का फैसला किया है। परीक्षार्थी पूछे गए सवालों के साथ फार्मूले को जोड़कर अपने सवाल यदि हल कर लेता है तो उसे पूरे अंक दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त यदि परीक्षार्थी फार्मूले को लिखने के बाद सवाल के कुछ स्टेप हल कर लेगा तो इसके लिए भी उसे अंक आवंटित किए जाएंगे। सूत्र की पहचान करने के साथ उसे उत्तर पुस्तिका में लिखने पर भी अंक दिए जाएंगे।
सीबीएसई की ओर से इस आशय की जानकारी सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को भेज दी गई है। इस बारे में टैगोर पब्लिक स्कूल के रसायन विज्ञान के शिक्षक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि नए बदलाव से परीक्षार्थियों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक लाभ गणित के परीक्षार्थियों को मिलेगा। इसके जरिए छात्रों की योग्यता का भी मूल्यांकन होगा। गंगा गुरुकुलम के गणित के शिक्षक एसएन पांडेय ने बताया कि इस नए प्रयोग से छात्र-छात्राओं को हर स्टेप की तैयारी करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सूत्र याद करके उसको प्रश्न में लिख भर देने मात्र से ही अब अंक मिल जाएगा। बोर्ड की यह पहल छात्रों की तैयारी को निखारने का काम करेगी। परीक्षा के समय विद्यार्थियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं होगा। इससे उनके मन से परीक्षा का भय निकालने में भी मदद मिलेगी।

राज्‍य कर्मियों को अवकाश नकदीकरण एवं सी0यू0जी0 नम्‍बर की सुविधा का जल्‍द फैसला -


प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में डेटा होगा ऑनलाइन -


ओबीसी के छूटे छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति इसी महीने

  • शासनादेश जारी, हजारों छात्र होंगे लाभान्वित
लखनऊ (ब्यूरो)। खाता संबंधी खामियों की वजह से शुल्क प्रतिपूर्ति से वंचित रह गए पिछड़े वर्ग के छात्रों को इसी महीने पैसे मिल जाएंगे। जांच के बाद उनके खाते में रकम भेजने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया गया। इससे ओबीसी के हजारों छात्र लाभांवित होंगे।
वर्ष 2013-14 में भारी संख्या में पात्र छात्र शुल्क प्रतिपूर्ति और वजीफा से वंचित रह गए थे। बैंक का सही ब्यौरा न देने, आईएफएससी कोड गलत होने या केवाईसी फार्म न भरे जाने के कारण ऐसा हुआ था। इन छात्रों ने शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए पिछड़ा वर्ग निदेशालय में आवेदन दिया था। इसके बाद यह मामला यह मामला शासन को भेज दिया गया।
इन मामलों के निस्तारण के लिए पिछड़ा वर्ग निदेशालय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। जारी शासनादेश में कहा गया है कि वर्ष 2013-14 में जहां धनराशि बैंकर्स चेक के माध्यम से विभाग को वापस मिली है, उन मामलों का नियमानुसार परीक्षण कराकर धनराशि 31 अक्तूबर तक छात्रों के खाते में भेज दी जाए। बैंक से वापस हुई राशि जिसे अभी तक राज्य सरकार के रिसीट हेड में जमा नहीं किया गया है, उस धनराशि को शासन से पूर्व अनुमति लेकर छात्रों को वितरित कर दिया। जिन मामलों में कोषागार या बैंक को समय रहते बिल न पहुंचने के कारण धनराशि सरेंडर की गई है और इस वित्तीय वर्ष में उस धनराशि के इस्तेमाल की इजाजत मिल गई है, उन मामलों में जिलास्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति का नियमानुसार भुगतान किया जाएगा।

परिषदीय स्कूलों में खराब पढ़ाई पर शासन सख्त - निरीक्षण न होने पर जताई नाराजगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मोहनलालगंज के प्राथमिक स्कूल में निरीक्षण के दौरान मिली खामी के बाद शासन सख्त हो गया है। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने सोमवार को एक आदेश में साफ कहा कि परिषदीय स्कूलों में किसी भी तरह की खामी मिलने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी व ब्लॉक एजूकेशन आफिसर (बीओई) सीधे जवाबदेह होंगे।
मुख्यमंत्री 20 अक्तूबर को प्राथमिक विद्यालय भसंडा मोहनलालगंज लखनऊ में निरीक्षण करने गए थे। उन्होंने इस दौरान मिड-डे-मील के अलावा पढ़ाई की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी। सचिव ने कहा है कि बेसिक शिक्षा मंत्री बैठक में यह हमेशा निर्देश देते हैं कि अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और शिक्षकों को पढ़ाने में रुचि लेने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके बावजूद बीएसए व बीईओ निरीक्षण और स्कूली शिक्षा की सुधार में रुचि नहीं ले रहे हैं।
सचिव ने अब साफ निर्देश दिया है कि बीएसए व बीईओ स्कूलों का नियमित निरीक्षण करेंगे। इस दौरान मिड-डे-मील, मुफ्त यूनिफार्म वितरण, पाठ्य-पुस्तक की गुणवत्ता के साथ शैक्षिक स्तर को विशेष रूप से देखेंगे। साथ ही विद्यार्थियों में किताबी जानकारी के साथ सामान्य ज्ञान का स्तर संतोषजनक होना सुनिश्चित कराएंगे। इसके बाद उच्चाधिकारियों को अगर निरीक्षण में खामियां मिली तो बीएसए व बीईओ के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण न होने पर जताई नाराजगी
लखनऊ। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने स्कूलों का निरीक्षण नियमित न होने और शासन को जांच आख्या उपलब्ध न कराए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि शासनादेश है कि मंडलीय और निदेशालय स्तर के अधिकारियों का टास्क फोर्स बनाते हुए स्कूलों का निरीक्षण कराया जाएगा और इसकी रिपोर्ट शासन को दी जाएगी। इसके बावजूद अधिकारी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं।

शिक्षक भर्ती में अभ्‍यर्थी हो रहे है हलकान -


माध्यमिक स्कूलों से निकलेंगे सचिन-सानिया

  • विद्यालयों में बढ़ेगी खेल गतिविधियां

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इलाहाबाद : ‘पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब’ की लाइनों पर शिक्षा विभाग एतबार नहीं करता। इसलिए वह पढ़ाई के साथ खेलकूद को बराबर से वरीयता दे रहा है। इसके तहत माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्रओं को नियमित पढ़ाई के साथ ही खेलों में भी पारंगत किया जाएगा। यही नहीं छात्रों को खान-पान की जानकारी देने से लेकर, योग, ध्यान की सीख भी दी जाएगी। विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के लिए उन्हें मार्शल आर्ट का विशेष प्रशिक्षण मिलेगा। मकसद सेहतमंद बनाने के साथ सचिन, महेंद्र सिंह धौनी, सानिया मिर्जा, मैरी कॉम, सरदार सिंह, दानिश मुजतबा जैसी प्रतिभाएं निखारना है। इसमें छात्रओं को अधिक वरीयता दी जा रही है। इसके लिए विद्यालयों को प्रतिदिन एक घंटे का अतिरिक्त समय निर्धारित करने का निर्देश दिया गया है। आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चे पढ़ाई पर अधिक समय देते हैं। कक्षा आठ के बाद पढ़ाई को लेकर उनकी गंभीरता बढ़ जाती है। अभिभावक भी चाहते हैं कि उनका बच्चा अधिक समय तक पढ़े। इससे वह खानपान को लेकर लापरवाही बरतने लगते हैं। खेलकूद में ध्यान न देने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति से निबटने के लिए उपशिक्षा निदेशक चतुर्थ मंडल महेंद्र कुमार सिंह ने जिला विद्यालय निरीक्षक व क्रीड़ाध्यापकों को खेल की गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके तहत विद्यालय में क्रिकेट, वॉलीबाल, मार्शल आर्ट, हाकी, बैडमिंटन, खो-खो, कबड्डी जैसी प्रतियोगिताएं हर दिन कराई जाएंगी। जो बच्चे इन प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेते उन्हें योग-ध्यान के साथ मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। महेंद्र सिंह का कहना है कि बच्चे पढ़ाई तो पूरी तन्मयता से करते हैं, परंतु खेल को महत्व नहीं देते। जबकि खेल से वे शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं, साथ में भविष्य में आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं रहती हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद में पांच समितियों का गठन

समितियों पर लगी शासन की मुहर

इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा परिषद का तीन वर्ष के लिए इसी महीने गठन हो चुका है। अब पांच समितियों को अमलीजामा भी शासन ने पहना दिया है। परिषद की परीक्षा परिणाम समिति में शिक्षा निदेशक माध्यमिक अवध नरेश शर्मा संयोजक, निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद लखनऊ, प्राचार्य राज्य शिक्षा संस्थान इलाहाबाद, जिला विद्यालय निरीक्षक प्रथम को सदस्य बनाया गया है। परीक्षा समिति में सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद शकुंतला देवी यादव संयोजक, संयुक्त निदेशक इलाहाबाद, वीरभान यादव, डा. अलाउद्दीन खां, गीता गांधी किंगडम को सदस्य बनाया गया है। मान्यता समिति में निदेशक राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान नीना श्रीवास्तव को संयोजक, डा. जमशेद कमाल, डा. रेखा शर्मा, आरके यादव, वेद प्रकाश, सुनील कुमार सिंह पटेल को सदस्य बनाया गया है। पाठ्यचर्या समिति में मुरादाबाद के प्रो. आरके गुप्ता को संयोजक, मोहम्मद असलम हुसैन, एडी व्यावसायिक शिक्षा, क्षेत्रीय अधिकारी सीबीएसई इलाहाबाद, एडी पत्रचार लखनऊ को सदस्य बनाया गया है। ऐसे ही वित्त समित में सीएल वर्मा को संयोजक, प्राचार्य राजकीय शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान रामपुर व एनएन सिंह को सदस्य बनाया गया है। हर समिति में परिषद की सचिव को सदस्य बनाया गया है।6माध्यमिक शिक्षा परिषद में पांच समितियों का गठन

एक भी महिला को नहीं बनाया बीएसए -सरकार कर रही भेदभाव, सुल्तानपुर के नागरिक की जनहित याचिका से खलबली

  • सरकार कर रही भेदभाव, सुल्तानपुर के नागरिक की जनहित याचिका से खलबली

इलाहाबाद : महिला आरक्षण का मुखर विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी पर महिला विरोधी होने का नया आरोप लगा है। एक शख्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके प्रदेश सरकार को घेरा है। उसका दावा है कि शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में महिला शिक्षक होते हुए भी वहां महिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) की तैनाती नहीं हो रही है। सरकार लिंगभेद कर रही है। इस याचिका से शिक्षा निदेशालय में खलबली मची है। सुल्तानपुर के कूड़ेभार निवासी सुरेंद्र प्रसाद शुक्ल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 9043/2014 में कहा है कि प्रदेश सरकार महिलाओं को बीएसए बनाने में आनाकानी कर रही है। प्रदेश भर के बीएसए की सूची दाखिल करके कहा है कि पीसीएस एवं पीपीएस बनने वाली महिलाएं एसडीएम एवं पुलिस क्षेत्रधिकारी तो बन जाती है, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी नहीं बनाया जाता है, जबकि शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में शिक्षक महिलाएं हैं। सुरेंद्र का कहना है कि सरकार प्रमोशन देने के बजाए महिलाओं को राजकीय इंटर कालेज एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं अन्य कार्यालयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। अनदेखी से महिलाएं जिला विद्यालय निरीक्षक, सहायक निदेशक, अपर निदेशक, उप निदेशक, संयुक्त निदेशक आदि पदों तक नहीं पहुंच पा रही है। इस याचिका पर कोर्ट ने जवाब मांगा तो विभाग में हड़कंप है। शिक्षा निदेशालय में तो यह याचिका चर्चा का विषय बनी है। इस संबंध में शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा ने संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शिक्षा अनुभाग-एक को लिखा है कि बीएसए पद पर तैनाती शासन स्तर पर होती है। ऐसे में विभाग की कहीं कोई गलती नहीं है।

इंटर कॉलेजों के 2448 तदर्थ शिक्षक होंगे नियमित - माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव

  • माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव
लखनऊ। राज्य सरकार सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में वर्ष 2000 तक रखे गए तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी में है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इसके मुताबिक करीब 2448 शिक्षकों को नियमित किया जाना है। अभी तक इन शिक्षकों को हाईकोर्ट के आदेश पर वेतन मिल रहा है।
प्रदेश में इसके पहले वर्ष 1998 और 2000 में 6 अगस्त 1993 तक के तदर्थ के आधार पर रखे गए शिक्षकों को नियमित किया जा चुका है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इसके बाद से लेकर वर्ष 2000 तक रखे गए 2448 तदर्थ शिक्षकों को नियमित करना चाहता है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें तर्क दिया गया है कि चूंकि सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है और ये शिक्षक हाईकोर्ट के आदेश पर स्थायी शिक्षकों के समकक्ष वेतनमान पा रहे हैं, इसलिए इन्हें नियमित कर दिया जाए। इनके नियमित होने पर राज्य सरकार के ऊपर अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव पर शासन के सहमत होने के बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराना होगा।
शिक्षक संघ चाहता है कि सभी हों नियमित-
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चाहता है कि सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में 6 अगस्त 1993 के बाद से अब तक जितने भी तदर्थ शिक्षक रखे गए हैं उन्हें नियमित किया जाए। संघ के प्रदेश प्रवक्ता आरपी मिश्रा कहते हैं कि माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली की अध्यक्षता में हुई बैठक में वर्ष 2011 तक के शिक्षकों को नियमित करने पर सहमति भी बन चुकी है। इसलिए शासन स्तर पर सभी तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय लिया जाए। इससे शिक्षकों की कमी भी दूर हो जाएगी और सरकार को मुकदमेबाजी पर पैसे भी खर्च नहीं करने होंगे।

मार्च नहीं, फरवरी में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं

लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षाएं इस बार 15 फरवरी से 20 मार्च के बीच हो सकती हैं। अभी तक परीक्षाएं मार्च और अप्रैल में होती थीं। सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड का सत्र 1 अप्रैल से शुरू करने को लेकर इस बार परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद जल्द ही इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों की बैठक करने के बाद प्रस्तावित परीक्षा कार्यक्रम को अंतिम रूप देगा।
यूपी बोर्ड में हर साल लगभग 72 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में बैठते हैं। इसलिए माध्यमिक शिक्षा परिषद चाहता है कि यूपी बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम नवंबर के आखिरी सप्ताह या फिर दिसंबर के पहले हफ्ते में जारी कर दिया जाए। इस दौरान 19 नवंबर तक बोर्ड परीक्षा केंद्रों के निर्धारण की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इसके बाद ही बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा ताकि जिला विद्यालय निरीक्षकों को परीक्षा कराने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। इसी तरह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी इस बार दिसंबर से ही शुरू कराने की तैयारी है, जिससे बोर्ड परीक्षा से पहले छूटे हुए अभ्यर्थियों की परीक्षाएं भी हो जाएं। इसके पहले प्रयोगात्मक परीक्षाएं 10 जनवरी से शुरू होकर 10 फरवरी तक होती थीं।

सीएम के निरीक्षण ने दिलाई शैक्षिक गुणवत्ता की याद - कमी मिली तो नपेंगे खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारी

कमी मिली तो नपेंगे खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारी

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शासन की ओर से समय-समय पर भले ही लंबे-चौड़े आदेश-निर्देश जारी किये जाते रहे हों, लेकिन नतीजा सिफर है। न तो जमीनी स्तर पर शासन के निर्देशों का पालन हो रहा है और न अधिकारी शासन की मंशा के अनुरूप काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के मोहनलालगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भसंडा के निरीक्षण के बाद बेसिक शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। विभाग की ओर से सोमवार को जारी शासनादेश में चेताया गया कि उच्चाधिकारियों द्वारा स्कूलों के निरीक्षण में यदि कमियां पायी जाती हैं तो संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री के निरीक्षण में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता की कलई खुलने पर शासन स्तर पर जब समीक्षा हुई तो पता चला कि स्कूलों के निरीक्षण के लिए तकरीबन दो महीने पहले आदेश जारी होने के बावजूद अब तक शासन को अफसरों द्वारा किए गए निरीक्षणांे की जानकारी नहीं दी गई है। यह तब है जब परिषदीय स्कूलों में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की निगरानी और समीक्षा के लिए शासन बीते 11 अगस्त को राज्यस्तरीय टास्क फोर्स भी गठित कर चुका है। लिहाजा शासन ने परिषदीय स्कूलों के शैक्षिक स्तर में सुधार और उनमें चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा और निगरानी के लिए सोमवार को दो शासनादेश जारी किए हैं। इनके जरिए विद्यालयों में शैक्षणिक स्तर सुधारने और स्कूलों में संचालित कार्यक्रमों की निगरानी व समीक्षा पर जोर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि टास्क फोर्स के अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि शिक्षक रोज अपनी कक्षा के हर बच्चे से गिनती-पहाड़ा सुनें और वर्णमाला व पुस्तक के मुताबिक बच्चों को लिखना-पढ़ना, समझना सिखाएं। दूसरे शासनादेश में कहा गया है कि स्कूलों के निरीक्षण में खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। लिहाजा निदेशक की ओर से खंड व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों का नियमित निरीक्षण करने के निर्देश जारी किए जाएं। इसमें वह विभिन्न चीजों की गुणवत्ता के साथ विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर का भी मूल्यांकन करेंगे।

शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का हंगामा -

  • पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया

लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए सोमवार को सैकड़ों अभ्यर्थियों ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के कार्यालय परिसर में हंगामा किया। अभ्यर्थियों ने एससीईआरटी निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि भर्ती के लिए प्रत्येक काउंसिलिंग के दौरान जारी की गई हर जिले की मदर सूची को भी ऑनलाइन जारी किया जाए। हर काउंसिलिंग के बाद जांच में सही पाये गए अभ्यर्थियों की सूची भी समस्त जानकारी के साथ अगली काउंसिलिंग से पहले ऑनलाइन जारी की जाए। इसमें अभ्यर्थी व उनके पिता का नाम, टीईटी अनुक्रमांक, कंट्रोल आइडी, कंप्यूटर आइडी, जन्मतिथि, वर्ग, स्नातक प्रतिशत आदि का जिक्र हो। अगली काउंसिलिंग से पहले सभी जिलों की खाली सीटों की जानकारी भी ऑनलाइन की जाए। किसी भी काउंसिलिंग से पहले औपबंधिक काउंसिलिंग कराने वाले अभ्यर्थियों के टीईटी अनुक्रमांक व अंकों का सत्यापन जल्दी कराया जाए। पारदर्शिता के लिहाज से अभ्यर्थियों ने उप्र टीईटी 2011 का परीक्षा परिणाम और 2011 में आये आवेदन पत्रों का डाटा ऑनलाइन करने की भी मांग की है।