Saturday, November 29, 2014

विवि के 111 कॉलेजों की संबद्धता पर लगी मुहर

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को 111 कॉलेजों की संबद्धता पर मुहर लगा दी है। साथ ही 180 दिन की पढ़ाई पूरी कराने के बाद परीक्षा कराने का ऐलान किया है। जिन कॉलेजों को संबद्धता मिली है, उनके 30 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के एग्जाम 2 मार्च 2015 से प्रस्तावित रेग्युलर एग्जाम के साथ नहीं कराए जाएंगे। संबंधित स्टूडेंट्स के एग्जाम मई या जून 2015 तक होंगे।
यूनिवर्सिटी की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग शुक्रवार को एकेडमिक भवन सभागार में हुई। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. जेवी वैशंपायन ने की। मीटिंग में 106 नए, पुराने डिग्री कॉलेजों और उनके कोर्स की संबद्धता का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर चर्चा के बाद एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने मुहर लगा दी। काउंसिल ने कहा कि जिन कॉलेजों को संबद्धता मिली है। उन्हें एडमिशन और एग्जाम फार्म भरने का मौका मिलेगा। जब 180 दिन की पढ़ाई पूरी हो जाएगी।
 180 दिन पढ़ाई के बाद होंगे एग्जाम
2 मार्च से प्रस्तावित रेग्युलर एग्जाम के साथ पेपर नहीं दे सकेंगे
30 हजार स्टूडेंट्स
संबंधित स्टूडेंट्स के एग्जाम मई या जून तक होंगे

छात्र संख्या से ज्यादा नहीं मिलेंगी कापियां

लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षा में धांधली कर कापियां न लिखाई जा सकें इसके लिए निर्धारित छात्र संख्या के आधार पर हीं केंद्रों को कापियां दी जाएंगी। हाईस्कूल प्रति छात्र 6 व इंटर में 10 कापियों की संख्या तय की गई है। इसमें ए और बी दोनों कापियां शामिल करते हुए केंद्रों को इसी आधार पर परीक्षार्थियों की संख्या पर कापियां दी जाएंगी। सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रभा त्रिपाठी ने इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश भेज दिया है। उन्होंने कहा है कि विगत वर्ष की परीक्षा में छात्र संख्या से अधिक कापियां दे दी गई थीं, जिससे परिषद को राजस्व का नुकसान हुआ था।
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 19 फरवरी से शुरू हो रही हैं। इसके लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। केंद्र निर्धारण के साथ ही जिलों को कापियां भेजने का क्रम शुरू कर दिया जाएगा। सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद ने डीआईओएस को भेजे निर्देश में कहा है कि 15 दिसंबर तक जिलों को हरहाल में सभी कापियां पहुंचा दी जाएंगी। जिलों में राजकीय इंटर कॉलेजों में इन्हें रखने की व्यवस्था होगी। इन्हें रखने और भेजने की रजिस्टर बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि किसी भी स्थिति में पंजीकृत परीक्षार्थियों से अधिक कापी नहीं दी जाएगी। राजकीय मुद्रणालय से परीक्षा केंद्रों को सीधे कापियां केंद्रों को नहीं दी जाएंगी। परीक्षा शुरू होने से पूर्व केंद्रों पर 50 प्रतिशत अनिवार्य रूप से कापियां पहुंचा दी जाएंगी। उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि छात्र संख्या से अधिक कापियां केंद्रों पर पहुंचा दी जाती और बाद में इसे वापस मंगाया जाता है।


Wednesday, November 26, 2014

जूनियर हाईस्कूल में भर्तियों पर अफसरों का अड़ंगा - मुख्यमंत्री कार्यालय ने किया जवाब-तलब

  • सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक और लिपिकों के 2272 पद चल रहे हैं खाली
लखनऊ। बेसिक शिक्षा से सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मियों की भर्ती पर अफसरों को अड़ंगा भारी पड़ रहा है। शासनादेश जारी होने के दो माह बाद भी बेसिक शिक्षा निदेशक डीबी शर्मा ने भर्ती संबंधी निर्देश जारी नहीं किया। उनका कहना है कि कुछ बिंदुओं पर शासन से सुझाव मांगे गए हैं। वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में जवाब तलब करते हुए भर्ती प्रक्रिया अब तक शुरू न हो पाने का कारण पूछा है।
प्रदेश में करीब 3200 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल हैं। सत्ता में आते ही अखिलेश सरकार ने 15 मार्च 2012 को भर्तियों पर रोक लगा दी। अन्य विभागों में भर्ती प्रक्रिया खोल दी गई, लेकिन सहायता प्राप्त स्कूलों में इसे नहीं खोला गया। सचिव बेसिक शिक्षा ने इन स्कूलों में रिक्त प्रधानाध्यापक के 800, सहायक अध्यापक के 1444 तथा लिपिक के 528 पदों पर भर्ती का शासनादेश 15 सितंबर 2014 को जारी करते हुए बेसिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया के वे इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारियों को विस्तृत निर्देश देंगे। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में निर्देश जारी नहीं किया। इसके चलते भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है। कई स्कूलों की स्थिति तो यह है कि इनके यहां एक मात्र शिक्षक के सहारे काम चलाया जा रहा है।

ऑनलाइन भरे जाएंगे टीजीटी-पीजीटी फॉर्म

  • विधेयक पारित होने के बाद अब चयन बोर्ड की सभी भर्तियों में ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी-पीजीटी एवं संस्था प्रधान परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन का रास्ता साफ हो गया है। चयन बोर्ड की ओर से शिक्षक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन का फैसला लेने के बाद इसे कैबिनेट एवं विधानसभा की मंजूरी के लिए भेजा गया था। प्रदेश सरकार ने हाल में विधानसभा सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड विधेयक को मंजूरी के लिए रखा था, इस विधेयक को पारित कर दिया गया।

आईटीआई अनुदेशकों के विज्ञापन को चुनौती

इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में अनुदेशकों के 2498 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन और सेवा नियमावली की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने मामले में प्रदेश सरकार से छह सप्ताह में जवाब तलब किया है, किंतु चयन प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, चयन याचिका के निर्णय की विषयवस्तु होगा।
बेरोजगार औद्योगिक कल्याण समिति ने याचिका दाखिल कर प्रदेश सरकार द्वारा नियमावली में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने कहा कि 24 जुलाई 1996 को नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नियुक्ति के लिए सीटीआई प्रशिक्षण को अनिवार्य कर दिया। सभी राज्यों को भी इसे लागू करने का निर्देश दिया। इसका पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में भी आठ अगस्त 2003 को सीटीआई अनिवार्य कर दिया गया।
इसके तीन माह बाद ही नई सरकार ने इस नियम को बदलते हुए सीटीआई को अनिवार्य योग्यता के स्थान प्राथमिकता कर दिया तथा आईटीआई डिप्लोमा वालों को भी नियुक्ति के लिए अनुमन्य कर दिया गया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने संशोधन रद करते हुए कहा कि केंद्र के निर्देश राज्य पर बाध्यकारी हैं। 2014 में पुन: सरकार ने नियमावली में संशोधन करके सीटीआई को अनिवार्य योग्यता के बजाए प्राथमिकता बना दिया व आईटीआई डिप्लोमा करने वालों को भी चयन में शामिल होने की छूट दे दी।
साथ ही नियुक्ति के तीन वर्ष के भीतर सीटीआई ट्रेनिंग करना अनिवार्य कर दिया गया। याची का कहना है कि सरकार ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि केंद्र सरकार का निर्देश अभी भी लागू है। ऐसा करने से अयोग्य लोगों को नियुक्त होने का अवसर मिलेगा। कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा है कि चयन प्रक्रिया जारी रहेगी मगर चयन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा

वित्तविहीन विद्यालयों पर अधिकारी मेहरबान

  • जिला परीक्षा समिति ने 25 किलोमीटर दूर बना दिया परीक्षा केन्द्र
इलाहाबाद (ब्यूरो)। बोर्ड परीक्षा के केन्द्रों के निर्धारण में वित्तविहीन की तुलना में वित्तपोषित विद्यालयों को केन्द्र बनाने में वरीयता देने के सख्त आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं। जिला समिति की ओर से जारी पहले चरण की सूची में वित्तविहीन विद्यालयों को उदारता पूर्वक केन्द्र बनाया गया है। वित्तविहीन स्कूलों को केन्द्र बनाने में विशेष रियायत दी गई है। वित्तपोषित विद्यालयों को जहां एक या दो विद्यालयों का केन्द्र बनाया गया है तो वहीं वित्तविहीन विद्यालयों में चार से पांच विद्यालयों के परीक्षार्थियों का केन्द्र बना दियाहै।
यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले चरण में केन्द्रों का निर्धारण जिला समिति की ओर से किया जाता है। इसके लिए सभी उपजिलाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक केन्द्रों को अंतिम रूप देते हैं। जिला समिति की ओर से जारी पहले चरण की सूची में वित्त पोषित विद्यालयों को 300 से 500 विद्यार्थियों का लक्ष्य आवंटित किया गया जबकि वित्त विहीन विद्यालयों को 800 परीक्षार्थियों तक केन्द्र प्रस्तावित कर दिया गया। वित्त विहीन विद्यालयों में संसाधनों की कमी के बावजूद ज्यादा परीक्षार्थियों का लक्ष्य दे दिए जाने से नकल पर नकेल कस पाना बड़ी चुनौती होगी।
जिला समिति की ओर से तय परीक्षा केन्द्रों को एक नजर में देखने पर ही गंभीर अनियमितता समझ में आ रही है। करछना तहसील के वित्तविहीन विद्यालय रामकृष्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बसही को मेजा तहसील के लाला रामलाल अग्रवाल इंटर कॉलेज सिरसा के छात्रों का परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। जो मूल स्कूल से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। ठीक इसी प्रकार से मेजारोड के बीएनटी इंटर कॉलेज एवं काशी प्रसाद सिंह इंटर कॉलेज कठौली के छात्रों को परीक्षा के लिए 25 किलोमीटर दूर प्रयागराज इंटर कॉलेज अमिलो भेजा जा रहा है। इस बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि अभी इन केन्द्रों के बारे में 26 तक आपत्ति दी जाएगी। इसके बाद 27 नवंबर को अंतिम सूची जारी की जाएगी।


Wednesday, November 12, 2014

14 से 19 नवंबर तक ‘बाल स्वच्छ अभियान’ चलाया जाएगा

केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट में बाल स्वच्छता अभियान

बच्चों को बताएंगे स्वच्छता का महत्व

इलाहाबाद : स्वच्छ भारत की मुहिम सार्थक करने के उद्देश्य से केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट में 14 से 19 नवंबर तक ‘बाल स्वच्छ अभियान’ चलाया जाएगा। इसके तहत बच्चों को स्वच्छता से जुड़ी हर जानकारी देने के साथ अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। प्रधानाचार्य एस. कृष्ण ने मंगलवार को बैठक करके तैयारी को अंतिम रूप दिया। बताया कि 14 नवंबर को फैंसी ड्रेस, भाषण, गीत, नृत्य प्रतियोगिता के साथ कक्षा की स्वच्छता व विद्यालय परिसर सफाई प्रतियोगिता होगी। इसके बाद 15 नवंबर को स्वच्छ भोजन के तहत ठीक से हाथ धुलने की सीख दी जाएगी। जबकि 17 नवंबर को विद्यार्थियों की स्वयं की स्वच्छता, 18 नवंबर को स्वच्छ पेयजल विषयक कार्यक्रम होगा, 19 नवंबर को स्वच्छ शौचालय का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

आंबेडकर नगर में फर्जी शैक्षिक व जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग डायट व 11 बर्खास्त शिक्षकों पर मुकदमा -

अंबेडकरनगर : फर्जी शैक्षिक व जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग में तैनाती के मामले में 11 बर्खास्त शिक्षकों समेत डायट के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है।  प्राथमिकी में डायट के किसी कर्मचारी का जिक्र न कर समूचे संस्थान को आरोपित किया गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दल सिंगार यादव की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई किए जाने की पुष्टि की है। विशेष आरक्षण के तहत गत वर्ष जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में 71 शिक्षकों की भर्ती की गई थी। इसमें से 28 शिक्षकों की सूची यहां आलापुर स्थित डायट की ओर से बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराई गई थी। डायट ने उक्त शिक्षकों के शैक्षिक समेत जाति प्रमाण पत्रों का भी सत्यापन कराए जाने के बाद अभिलेखों की सत्यता पर मुहर लगाई थी। शिक्षकों के अंकपत्रों के फर्जी होने की शिकायत मिलने के बाद बीएसए ने शिक्षकों के अभिलेखों का सत्यापन कराना शुरू किया।

जूनियर टीईटी बीएड बेरोजगारों के लिए कोई विकल्प नहीं

इलाहाबाद। राज्य सरकार की ओर से जूनियर टीईटी पास बीएड बेरोजगार अभ्यर्थियों के लिए अभी तक नौकरी का कोई विकल्प नहीं दिया गया है। तीन वर्ष पूर्व प्रदेश भर में 2.50 लाख बीएड बेरोजगार जूनियर स्तर के लिए टीईटी पास करके बैठे हैं। इसमें 29 हजार टीईटी पास विज्ञान वर्ग के अभ्यर्थियों की ही भर्ती हो सकी है। अभ्यर्थियों ने सरकार से उनके बारे में नीति स्पष्ट करने की मांग भी है। सरकार के असमंजस से टीईटी पास अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय बना है। अभी तक प्राथमिक विद्यालयों से शिक्षकों को प्रमोशन देकर उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनाती दी जाती रही है। प्राथमिक विद्यालयों में सरकार की ओर से बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त बीएड बेरोजगारों की नियुक्ति करने का नियम है। बदली व्यवस्था के तहत अब सरकार से एनसीटीई की सिफारिश पर टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है। टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद सरकार ने प्राथमिक और जूनियर टीईटी परीक्षा का विकल्प दिया था। इसमें प्राथमिक विद्यालयों में चयन के लिए तो सरकार की ओर से प्राथमिक टीईटी पास बेरोजगारों को भर्ती का विकल्प देने की बात की जा रही है, जबकि जूनियर टीईटी के लिए कोई सूचना जारी नहीं हुई है।
जूनियर टीईटी पास बेरोजगारों की नियुक्ति के लिए सरकार को प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की चयन नियमावली में परिवर्तन करना होगा।

शून्य नहीं होगा बीएड का अगला शैक्षिक सत्र एनसीटीई ने दिए संकेत, बीटीसी की पढ़ाई भी जारी रहेगी

  • बीएड, एमएड की पढ़ाई दो साल की होगी
  • सरकार की ओर से जूनियर स्तर के स्कूलों में नियुक्ति और चयन के लिए कोई नियम नहीं
कानपुर। बीएड 2015-16 का शैक्षिक सत्र शून्य नहीं होगा। इसके संकेत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने दे दिए हैं। एनसीटीई के एक अफसर ने कहा है कि बीएड की एडमिशन प्रक्रिया जारी रहेगी। इस पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई जाएगी। इससे संबंधित सर्कुलर 29 नवंबर तक जारी किया जा सकता है। बीटीसी की पढ़ाई खत्म करने का प्रस्ताव भी टल गया है।
एनसीटीई ने बीएड का शैक्षिक सत्र 2015-16 को शून्य करने का ऐलान किया था। साथ ही कहा था कि बीटीसी की पढ़ाई भी खत्म होगी। इसकी जगह बीएलएड का नया कोर्स लांच किया जाएगा। इसका जबरदस्त विरोध हुआ। इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश स्व वित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी और संयोजक डॉ. बृजेश भदौरिया ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और एनसीटीई के चेयरमैन से मुलाकात भी की थी। इन सभी ने कहा था कि सत्र शून्य हुआ तो बीएड के तमाम कॉलेज बंद हो जाएंगे।

Monday, November 3, 2014

तीसरी काउंसिलिंग के लिए कट ऑफ मेरिट जारी -

अब पांच से 13 तक चलेगी काउंसिलिंग


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लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए तीसरी काउंसिलिंग अब तीन के बजाय पांच नवंबर से शुरू होकर 13 नवंबर तक चलेगी। तीसरी काउंसिलिंग के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने जिलेवार और आरक्षण श्रेणीवार कट ऑफ मेरिट रविवार शाम जारी कर दी है। कट ऑफ मेरिट उप्र बेसिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट http://upbasiceduboard.gov.in/ पर प्रदर्शित करने के साथ ही सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को भी जारी कर दी गई है। कट ऑफ मेरिट सूची जारी करने में विलंब के चलते काउंसिलिंग की तिथि को दो दिन आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है। पहले तीसरी काउंसिलिंग की तिथि तीन से 12 नवंबर तय की गई थी। तीसरी काउंसिलिंग के लिए विशेष आरक्षण श्रेणी की उपलब्ध सीटों के 20 गुना और शेष श्रेणियों के 10 गुना अभ्यर्थी बुलाए गए हैं। 1तीसरी काउंसिलिंग के लिए 30035 पद खाली हैं। बहराइच, लखीमपुर खीरी, गोंडा, बलरामपुर, महाराजगंज, शाहजहांपुर, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर जिलों में ज्यादा पद खाली हैं। काउंसिलिंग में अब अभ्यर्थियों को अपने मूल प्रमाण पत्र जमा तो नहीं करने होंगे लेकिन काउंसिलिंग के समय उन्हें लेकर उपस्थित होना पड़ेगा।

गांव से शहर आने पर भी सीनियर रहेंगे शिक्षक - पदोन्नति में विसंगति पर हाईकोर्ट के निर्णय से शिक्षकों को राहत

मथुरा। अब बेसिक के शिक्षकों के देहात से नगर क्षेत्र में स्थानांतरित होने पर उनकी वरिष्ठता पर असर नहीं पड़ेगा। उनका ग्रामीण क्षेत्र का अनुभव बरकरार रखा जाएगा। यह निर्णय हाईकोर्ट ने पदोन्नति प्रक्रिया में आने वाली विसंगतियों को देखते हुए जारी किया है।
अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात रहे शिक्षकों के नगर क्षेत्र में ट्रांसफर लेने पर उनकी सर्विस में वरीयता खत्म हो जाती थी। यह वरीयता पदोन्नति प्रक्रिया को प्रभावित करती थी। इसके चलते कई बार सर्विस में जूनियर शिक्षक को पदोन्नति मिल जाती थी और सीनियर शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह जाते थे। इस विसंगति को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने 28 अक्तूबर को आदेश जारी किया है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों के नगरीय क्षेत्र में स्थानांतरित होने के बाद उनका अनुभव समाप्त नहीं माना जाएगा।
सीतापुर की शिक्षिका ने दायर की थी रिट
सीतापुर जनपद की सहायक अध्यापिका प्रियंका शुक्ला देहात क्षेत्र में तैनात थीं। जब उनका नगरीय क्षेत्र में ट्रांसफर हुआ तो उनकी वरीयता समाप्त कर दी गई। उन्होंने इस संबंध में हाईकोर्ट में रिट दायर की। विसंगति को देखते हुए कोर्ट ने ये आदेश जारी किए हैं।
ज्वाइनिंग डेट से मानी जाएगी वरीयता
शिक्षक नेता गौरव यादव ने बताया कि अब परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की वरीयता उनकी विभाग में ज्वाइनिंग डेट से ही मानी जाएगी। इसी आधार पर पदोन्नति प्रक्रिया में भी उन्हें वरीयता मिलेगी।
सुविधा के कारण जाते हैं नगर क्षेत्र में
नगरीय क्षेत्र में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को 120 से 240 रुपये प्रतिमाह नगरीय प्रतिकर भत्ता मिलता है। साथ ही नगर क्षेत्र में आवागमन में सुविधा रहती है। यही कारण है कि शिक्षक खासतौर पर शिक्षिकाएं नगरीय क्षेत्र में वरीयता समाप्त होने के नियम के बाद भी यहां स्थानांतरण चाहते थे।

अगले साल आएगी नई शिक्षा नीति : प्रधानाध्यापक, शिक्षकों और छात्रों को भी नई नीति बनाने की प्रक्रिया में शामिल करने की तैयारी

देश की नई शिक्षा नीति अगले साल तक अस्तित्व में आने की संभावना है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने रविवार को कहा कि नई नीति के लिए सरकार अगले साल से राष्ट्रीय स्तर पर बहस शुरू कराएगी। हमारे पास एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए। इसके लिए राज्यवार और क्षेत्रवार चर्चा होगी। इसमें 7 महीने से लेकर 3 साल का समय लग सकता है, जिसे राजनीतिज्ञ, नौकरशाह और विशेषज्ञ मिलकर तैयार करेंगे।

स्मृति के मुताबिक प्रधानाध्यापक, शिक्षकों और छात्रों को भी नई नीति बनाने की प्रक्रिया में शामिल किए जाने की आवश्यकता है। देश क्रमिक विकास के दौर से गुजर रहा है। अब तक देश का भविष्य राजनीति करने वालों में निहित रहा है, लेकिन अब भारत को बदलने का एक बेहतर मौका है। सीबीएसई की वार्षिक सहोदया कार्यक्रम में देश-विदेश से आए प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का भविष्य आपके हाथों में है। मैं केवल मानव संसाधन विकास मंत्री नहीं बल्कि स्कूल जाने वाले दो बच्चों की मां भी हूं।

किताबों की सुधरेगी क्वालिटी : बदलेगा मानक और जल्द मिलेंगी किताबें

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूलों की किताबों की क्वालिटी में और सुधार लाने की तैयारी है। कागज की मोटाई 60 ग्राम स्क्वॉयर मीटर (जीएसएम) से बढ़ाकर 70 करने और चमक भी बढ़ाने की तैयारी है। बेसिक शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव पर शासन स्तर पर सहमति बन गई है और जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी ले ली जाएगी।
बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले प्राइमरी और उच्च प्राइमरी तथा संबद्ध प्राइमरी स्कूलों में कक्षा 8 तक पढ़ने वाले करीब पौने तीन करोड़ बच्चों को मुफ्त किताब देने की योजना है। परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मौजूदा समय जो किताबें दी जा रही हैं उसकी क्वालिटी काफी अच्छी नहीं है। इसके चलते किताबें जल्द फट जाती हैं। इसलिए बेसिक शिक्षा परिषद चाहती है कि बच्चों को ऐसी किताबें दी जाएं जो जल्द न फटने पाएं। इसीलिए कागज की मोटाई बढ़ाने, सुपर क्वालिटी इंक का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव है। इससे छपाई लागत आठ से 10 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।

कक्षा 8 तक बच्चों को फेल करने पर पाबंदी हटेगी : भुक्खल कमेटी की सिफारिश पर होगा विचार

  • हट सकता है आठवीं तक फेल न करने का नियम
    केंद्र सरकार कर रही है शिक्षा का अधिकार कानून में बदलाव पर विचार
    कई राज्य सरकारों ने केंद्र से की शिकायत
    फेल करने पर रोक होने से बच्चों में घट रही है पढ़ने की क्षमता
नई दिल्ली। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून को लागू हुए करीब चार साल होने वाले हैं। इतने समय बाद कानून का एक नकारात्मक पहलू यह सामने आया है कि बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति घट रही है। इसके लिए कानून के उस प्रावधान को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसमें आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल करने की मनाही है। राज्यों की आपत्तियों के बाद केंद्र सरकार इस मामले में गीता भुक्खल समिति की सिफारिशों को आधार बनाकर इस कानून में बदलाव की तैयारी कर रही है।

दरअसल, आरटीई लागू होने के तीन साल बाद असर 2013 की रिपोट के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले थे। रिपोट में कहा गया है कि बच्चों में पढ़ने की क्षमता में सुधार नहीं हो रहा है। कक्षा-3 में पढ़ने वाले 60 फीसदी बच्चे ही पहली कक्षा की किताब नहीं पढ़ पाते हैं। इसमें सरकारी स्कूलों की स्थिति और भी चिंताजनक है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोड की बैठकों में कई बार यह मुद्दा राज्यों की तरफ से उठाया गया है। राज्यों का कहना है कि बच्चों को फेल नहीं करने के प्रावधान का गलत संदेश गया है।

राजस्थान ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि वह अपने राज्य में इन नियमों में बदलाव करेगा। माना जा रहा है कि कानून के प्रावधान से यह संदेश बच्चों ही नहीं, अभिभावकों में भी गया है। बच्चे जहां पढ़ने को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वहीं, अभिभावक भी ज्यादा ध्यान इसलिए नहीं देते, क्योंकि वे जानते हैं कि 8वीं तक तो बच्चे फेल होंगे नहीं। 
 पढ़ने की क्षमता : देश में प्राथमिक स्कूलों के कक्षा तीन में पढ़ने वाले 40.2 फीसदी बच्चे ही पहली कक्षा की किताब पढ़ पाते हैं। यदि सरकारी स्कूलों के आंकड़े अलग करके देखें, तो यह प्रतिशत और भी कम 32 फीसदी है।’

गणित का ज्ञान : राष्ट्रीय स्तर पर सिफ 25.6 फीसदी छात्र ऐसे हैं, जो तीन अंकों को एक अंक से भाग कर प्रश्न का उत्तर निकाल सकते हैं। सरकारी स्कूलों में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। ’

उपस्थिति घटी :राज्यों ने यह बात भी उठाई थी कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति घट रही है। असर रिपोट के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति दर 2012 में 73.1 फीसदी थी जो 2013 में घटकर 71.8 फीसदी रह गई।