Wednesday, November 26, 2014

वित्तविहीन विद्यालयों पर अधिकारी मेहरबान

  • जिला परीक्षा समिति ने 25 किलोमीटर दूर बना दिया परीक्षा केन्द्र
इलाहाबाद (ब्यूरो)। बोर्ड परीक्षा के केन्द्रों के निर्धारण में वित्तविहीन की तुलना में वित्तपोषित विद्यालयों को केन्द्र बनाने में वरीयता देने के सख्त आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं। जिला समिति की ओर से जारी पहले चरण की सूची में वित्तविहीन विद्यालयों को उदारता पूर्वक केन्द्र बनाया गया है। वित्तविहीन स्कूलों को केन्द्र बनाने में विशेष रियायत दी गई है। वित्तपोषित विद्यालयों को जहां एक या दो विद्यालयों का केन्द्र बनाया गया है तो वहीं वित्तविहीन विद्यालयों में चार से पांच विद्यालयों के परीक्षार्थियों का केन्द्र बना दियाहै।
यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले चरण में केन्द्रों का निर्धारण जिला समिति की ओर से किया जाता है। इसके लिए सभी उपजिलाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक केन्द्रों को अंतिम रूप देते हैं। जिला समिति की ओर से जारी पहले चरण की सूची में वित्त पोषित विद्यालयों को 300 से 500 विद्यार्थियों का लक्ष्य आवंटित किया गया जबकि वित्त विहीन विद्यालयों को 800 परीक्षार्थियों तक केन्द्र प्रस्तावित कर दिया गया। वित्त विहीन विद्यालयों में संसाधनों की कमी के बावजूद ज्यादा परीक्षार्थियों का लक्ष्य दे दिए जाने से नकल पर नकेल कस पाना बड़ी चुनौती होगी।
जिला समिति की ओर से तय परीक्षा केन्द्रों को एक नजर में देखने पर ही गंभीर अनियमितता समझ में आ रही है। करछना तहसील के वित्तविहीन विद्यालय रामकृष्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बसही को मेजा तहसील के लाला रामलाल अग्रवाल इंटर कॉलेज सिरसा के छात्रों का परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। जो मूल स्कूल से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। ठीक इसी प्रकार से मेजारोड के बीएनटी इंटर कॉलेज एवं काशी प्रसाद सिंह इंटर कॉलेज कठौली के छात्रों को परीक्षा के लिए 25 किलोमीटर दूर प्रयागराज इंटर कॉलेज अमिलो भेजा जा रहा है। इस बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि अभी इन केन्द्रों के बारे में 26 तक आपत्ति दी जाएगी। इसके बाद 27 नवंबर को अंतिम सूची जारी की जाएगी।


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