Wednesday, November 26, 2014

आईटीआई अनुदेशकों के विज्ञापन को चुनौती

इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में अनुदेशकों के 2498 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन और सेवा नियमावली की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने मामले में प्रदेश सरकार से छह सप्ताह में जवाब तलब किया है, किंतु चयन प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, चयन याचिका के निर्णय की विषयवस्तु होगा।
बेरोजगार औद्योगिक कल्याण समिति ने याचिका दाखिल कर प्रदेश सरकार द्वारा नियमावली में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने कहा कि 24 जुलाई 1996 को नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नियुक्ति के लिए सीटीआई प्रशिक्षण को अनिवार्य कर दिया। सभी राज्यों को भी इसे लागू करने का निर्देश दिया। इसका पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में भी आठ अगस्त 2003 को सीटीआई अनिवार्य कर दिया गया।
इसके तीन माह बाद ही नई सरकार ने इस नियम को बदलते हुए सीटीआई को अनिवार्य योग्यता के स्थान प्राथमिकता कर दिया तथा आईटीआई डिप्लोमा वालों को भी नियुक्ति के लिए अनुमन्य कर दिया गया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने संशोधन रद करते हुए कहा कि केंद्र के निर्देश राज्य पर बाध्यकारी हैं। 2014 में पुन: सरकार ने नियमावली में संशोधन करके सीटीआई को अनिवार्य योग्यता के बजाए प्राथमिकता बना दिया व आईटीआई डिप्लोमा करने वालों को भी चयन में शामिल होने की छूट दे दी।
साथ ही नियुक्ति के तीन वर्ष के भीतर सीटीआई ट्रेनिंग करना अनिवार्य कर दिया गया। याची का कहना है कि सरकार ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि केंद्र सरकार का निर्देश अभी भी लागू है। ऐसा करने से अयोग्य लोगों को नियुक्त होने का अवसर मिलेगा। कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा है कि चयन प्रक्रिया जारी रहेगी मगर चयन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा

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