Monday, October 27, 2014

डिग्री कॉलेजों में आधे शिक्षक ही नहीं - निजी कॉलेजों में तैंतीस प्रतिशत सीट बढ़ाने का मामला

    • निजी कॉलेजों में पहले ही खाली पड़ी हैं सीटें

    • ऐसे तो विद्यार्थियों का भला होने से रहा

लखनऊ : शासन का सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों में स्नातक की सीटों में तैंतीस प्रतिशत की वृद्धि करने के फैसले से आम छात्रों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। छात्रों का कहना है कि अगर सीटें बढ़ानी हैं तो फिर अनुदानित और सरकारी कॉलेजों में बढ़ायी जातीं, सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में तो पहले से ही सीटें खाली पड़ी हैं। पहले ही सीटें हैं खाली, छात्र नेता आकाश लाला का कहना है कि सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में पहले से ही सीटें खाली हैं। इसके अलावा स्नातक की फीस भी दोगुनी है। ऐसे में इन कॉलेजों में सीट बढ़ाने से विद्यार्थियों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। इस फैसले से सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों द्वारा सीटें भरने के नाम पर अवैध वसूली जरूर होगी। यह पहला मौका है जब निजी कॉलेजों में बीए, बीएससी व बीकॉम की सीटें बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है। सूबे के 3382 डिग्री कॉलेजों में लागू होगा जहां सत्र 2014-15 में बीए, बीएससी व बीकॉम में 60 सीटों के एक सेक्शन को बढ़ाकर 80 तक करने के निर्देश निजी डिग्री कॉलेजों को दिए गए हैं।
यूजीसी के मानक ताख पर : शासन ने निजी और सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का फरमान तो जारी कर दिया लेकिन तमाम कॉलेज ऐसे हैं जहां यूजीसी के मानकों के अनुसार शिक्षक तक नहीं हैं। कॉलेजों में मानकों को ताख पर रखकर पढ़ाई की जा रही है ऐसे में सरकार के इस आदेश से गोरखधंधा और बढ़ जाएगा। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए पहले भी कई शासनादेश जारी हुए लेकिन लागू आज तक नहीं हुए।
शिक्षण सत्र होगा प्रभावित : लुआक्टा के पदाधिकारियों का कहना है कि यूजीसी के मानकों के अनुसार दाखिले की प्रक्रिया 21 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए और कम से कम 180 दिन पढ़ाई होनी चाहिए। अक्टूबर में शासन ने सीटें बढ़ाने का आदेश जारी किया है और अब तक प्रवेश समिति की बैठक तक नहीं हो सकी है। दीपावली के कारण छुट्टियां हो जाएंगी ऐसे में दाखिले की प्रक्रिया कब शुरू होगी यह बड़ा सवाल है। लुआक्टा अध्यक्ष का कहना है कि वह प्रवेश समिति की बैठक में इस निर्णय का विरोध करेंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज पांडेय का कहना है कि सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में सरकार ने सीटें बढ़ाने का आदेश तो जारी कर दिया लेकिन इस बात का ख्याल नहीं रखा कि अगर कॉलेजों में इसी आधार पर दाखिले हो गए तो फिर पढ़ाएगा कौन। विवि पहले ही दस प्रतिशत सीटें बढ़ा चुका है। डिग्री कालेजों में 57 प्रतिशत शिक्षक नहीं है। अधिकांश कालेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में सीटें बढ़ाने का फैसला समझ से परे है।

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