Friday, October 31, 2014

शिक्षक भर्ती में न्यूनतम अंक अर्हता को चुनौती

इलाहाबाद : प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति में न्यूनतम अंक की अर्हता को लेकर अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने काउंसिलिंग जारी रखने का निर्देश दिया। हालांकि यह भी कहा कि नियुक्तियां दायर याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन मानी जाएंगी। कोर्ट ने प्रदेश सरकार, एनसीटीई व अन्य विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने नीरज कुमार राय व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गयी है जिसके तहत प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकॉम के साथ बीएड में 45 फीसद अंक को अनिवार्य कर दिया गया है। याची का कहना है कि 45 फीसद अंक का मानक तय करना उचित नहीं है। इसकी वजह से अंडर ग्रेजुएट डिग्री धारक चयन प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में यह नियम विभेदकारी व मनमानापूर्ण होने के कारण रद होने योग्य है। विपक्षी अधिवक्ता आरए अख्तर का कहना है कि एनसीटीई ने केंद्र सरकार की समेकित नीति के तहत न्यूनतम अंक अर्हता नियत की है। राज्य सरकार के अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि केंद्र सरकार व एनसीटीई की गाइड लाइन व नियमों का पालन किया है। शैक्षिक गुणवत्ता के कारण सरकार ने ऐसा नियम बनाया है। फिलहाल कोर्ट ने हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।

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