Monday, October 27, 2014

प्रत्‍येक विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक

  • नवंबर को हर जिले में मशाल जुलूस निकालेंगे

  • समय से परीक्षा और परिणाम के लिए प्रस्ताव तैयार

  • कुलसचिव (परीक्षा) होगा पदनाम

  • प्रधान कुलसचिव भी तैनात करने का है इरादा

  • सहायक और डिप्टी रजिस्ट्रार के पद भी बढ़ाने का प्रस्ताव


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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों में समय से परीक्षाएं हो जाएं और उनके परिणाम भी घोषित हो सकें, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग की मंशा है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में कुलसचिव के समकक्ष ही परीक्षा नियंत्रक का पद सृजित किया जाए। परीक्षा नियंत्रक और कुलसचिव ठीक से काम करें, उन पर निगरानी और नियंत्रण रखने को हर विश्वविद्यालय में इनके ऊपर प्रधान कुलसचिव का पद सृजित करने का भी इरादा है। सहायक और उप कुलसचिवों के पद भी बढ़ाने का प्रस्ताव है। उच्च शिक्षा विभाग ने कुलसचिव संवर्ग के पुनर्गठन का प्रस्ताव तैयार कर उसे मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेज दिया है। 1इस वर्ष जनवरी में राजधानी में आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में कुलाधिपति की हैसियत से राज्यपाल ने इस बात पर क्षोभ जताया था कि न समय से परीक्षाएं कराई जा रही हैं और न ही परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। कई कुलपतियों ने बताया था कि उनके विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक का पद ही सृजित नहीं है। सम्मेलन में यह भी मांग उठी थी कि कामकाज के बढ़ते बोझ को देखते हुए कुलसचिव संवर्ग का पुनर्गठन किया जाए। इस मांग पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सम्मेलन में कुलसचिव संवर्ग का पुनर्गठन किये जाने की घोषणा की थी। कुलसचिव संवर्ग के तहत अभी विश्वविद्यालयों में वरिष्ठता क्रम में सहायक कुलसचिव, उप कुलसचिव और कुलसचिव के पद सृजित हैं। वहीं परीक्षा नियंत्रक का पद सिर्फ लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर विश्वविद्यालयों में ही सृजित है। पुनर्गठन प्रस्ताव के तहत प्रत्येक राज्य विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक का एक पद सृजित करने की मंशा है। परीक्षा नियंत्रक के पद का पदनाम कुलसचिव (परीक्षा) होगा जबकि पहले से सृजित कुलसचिव पद को कुलसचिव (प्रशासन) का नाम दिया गया है। हर विश्वविद्यालय में इन दोनों पदों के ऊपर एक प्रधान कुलसचिव का पद होगा। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रधान कुलसचिव का पद गठित होने से विश्वविद्यालय में बढ़े हुए कार्यों की बेहतर निगरानी व नियंत्रण हो सकेगा। अभी कुलसचिव के 66 प्रतिशत पद सीधी भर्ती और बाकी प्रोन्नति के हैं। प्रधान कुलसचिव का पद सृजित होने से कुलसचिवों को प्रोन्नति का मौका मिलेगा। बढ़े हुए काम से निपटने के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय में सहायक और उप कुलसचिव का पद भी बढ़ाने का इरादा है। दोनों के 12-12 पद बढ़ाने का प्रस्ताव है। अभी राज्य विश्वविद्यालयों में सहायक कुलसचिव के 44 व उप कुलसचिव के 30 पद हैं।

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