Wednesday, October 15, 2014

हाईस्कूल के प्रधानाचार्यो को इंटर में मौका

  • खुशखबरी- लोकसेवा आयोग कर रहा राजकीय कॉलेजों के प्रधानाचार्यो का प्रमोशन

इलाहाबाद : प्रदेश के राजकीय हाईस्कूल विद्यालयों में प्रधानाचार्य रहे शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। उनको प्रोन्नत किया जा रहा है, उनको अब इंटरमीडिएट स्कूलों में कार्य करने का मौका मिलेगा। शिक्षा निदेशालय की संस्तुति पर लोकसेवा आयोग की ओर से डीपीसी की जा रही है। दीपावली के पहले सभी शिक्षकों को प्रमोशन एवं नई नियुक्ति की सूचना मिलने की उम्मीद की जा रही है। सूबे के राजकीय हाईस्कूल विद्यालयों के प्रधानाचार्यो का प्रमोशन लंबे समय से बाधित था। इस संबंध में कई बार अधिकारियों को पत्र सौंपे गए लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। इसकी वजह सेवा नियमावली में बदलाव किया जाना था और शिक्षा निदेशालय ने शासन को इसका प्रस्ताव भी भेजा था। शासन ने इस संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं किया तो पुराने र्ढे पर ही प्रमोशन दिए जाने का निर्णय लिया गया। शिक्षा निदेशालय ने पदों के सापेक्ष तकरीबन सवा गुना दावेदारों के नाम की सूची तैयार की और उसे लोकसेवा आयोग के हवाले कर दी। शिक्षा निदेशालय की ओर से आयोग को भेजी गई पत्रवली में पुरुष वर्ग के 228, महिला के 82 एवं निरीक्षण वर्ग के 64 दावेदारों का प्रमोशन होना है। सूत्रों की मानें तो आयोग में पुरुष एवं निरीक्षण वर्ग की डीपीसी (विभागीय प्रमोशन समिति) पूरी हो चुकी है, जबकि महिला वर्ग की डीपीसी गुरुवार को होगी। इसके बाद आयोग पूरी प्रमोशन सूची शासन को भेज देगा और वहां से अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशालय हाईस्कूल के प्रधानाचार्यो को इंटरमीडिएट स्तरीय स्कूलों में तैनाती का आदेश जारी कर देगा।
इलाहाबाद : हाईस्कूल विद्यालयों के प्रधानाचार्यो का इंटरमीडिएट कालेजों में प्रमोशन का मानक तय है। शिक्षक सेवा नियमावली के तहत 61 फीसद पद पुरुष वर्ग से, 22 फीसद महिला वर्ग से और 17 फीसद पद निरीक्षण वर्ग के प्रमोशन से भरे जाते रहे हैं। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के अलग हो जाने के बाद तमाम राजकीय कालेज उत्तराखंड में चले गए जिस पर सेवा नियमावली में बदलाव किया गया और प्रमोशन का रेशियो क्रमश: 40, 30 एवं 30 फीसद करने का प्रस्ताव साल 2001 में शासन को भेजा गया। उसके बाद से इस उम्मीद में प्रमोशन लंबित रहे कि शासन का फरमान आ जाए तो उसी अनुरूप कार्य किया जाए लेकिन आज तक सेवा नियमावली में बदलाव नहीं हो सका। ऐसे में 13 साल बाद पुरानी नियमावली के ही आधार पर प्रमोशन किया गया है। सवाल यह उठ रहा है कि जब पुरानी नियमावली पर ही प्रमोशन होना था तो आखिर इतने वर्षो तक प्रमोशन क्यों रोके गए।

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