Saturday, October 11, 2014

बच्चों के अधिकारों की ओर अब जाएगा ध्यान -

कैलाश सत्यार्थी जैसी शख्सियत को नोबेल पुरस्कार मिलने से बच्चों के अधिकारों की तरफ लोगों का ध्यान अवश्य जाएगा। इस नोबेल का स्वागत है। दुनिया में हमारे यहां से ज्यादा बच्चे किसी देश में नहीं हैं। जनसंख्या के वर्तमान आंकड़े के अनुसार देश में 39 फीसदी आबादी 18 साल से कम उम्र के बच्चों की है। यह कुल 45 करोड़ की आबादी है। इनमें से करीब 20 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो पूरी तरह हाशिये पर हैं। ये गरीब-अभावग्रस्त और शोषण के शिकार हैं। ये आजीविका कमा कर जिंदा हैं।
भारत ने 1992 में संयुक्त राष्ट्र में बाल अधिकारों के अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए थे। आज 2014 है लेकिन बच्चों को अधिकार मिलना तो दूर, स्थितियां तक नहीं सुधरी हैं। भारत में जो मजदूर आबादी है, इसका 11 फीसदी बच्चे हैं। मेरा मानना है कि बच्चों को लेकर हमारे कानूनों में समानता नहीं है। बच्चों के वयस्क कहलाने की आयु 18 साल है। जबकि बाल श्रम कानून में ये 14 साल है। इस कानून में यह कहा गया है कि बच्चे सिर्फ खतरनाक उद्योगों में काम नहीं कर सकते। शिक्षा के अधिकार में मुफ्त शिक्षा का हक छह से 14 साल के बच्चों के लिए है। अगर शिक्षा का ये अधिकार बच्चों को है तो उनके इस आयु में काम करने पर पूरी पाबंदी क्यों नहीं है? देश में 39 फीसदी बच्चों की आबादी के मुकाबले केंद्रीय बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मामलों को मिला कर मात्र पांच फीसदी का प्रावधान होता है। सरकारी आंगनबाड़ी सिस्टम में बच्चों को सिर्फ दो घंटे रखने और खाना देने का प्रावधान है। गरीब बच्चों के लिए कोई प्री-प्राइमरी स्कूल नहीं चलाता। शिक्षा की स्थिति यह है कि हम भविष्य में समाज में एक नया वर्ग भेद पैदा करने जा रहे हैं। अपनी शिक्षा व्यवस्था में सुनिश्चित कर रहे हैं कि गरीब बच्चा समाज के अपने से ऊंचे वर्ग के बच्चे से मुकाबला कर ही नहीं सकता। देश में अभी ज्यादातर लोगों को यही नहीं पता कि बच्चों के मौलिक अधिकार क्या हैं। संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के ये चार अधिकार बनाए है: जीने का अधिकार, विकास का अधिकार, संरक्षण का अधिकार और सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी का अधिकार। बच्चों के मामलों में ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें लगातार अनदेखा किया जा रहा है। अनाथ बच्चों का भी एक मामला है। अंतत: कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलने से यह अवश्य होगा कि बच्चों के अधिकारों की तरफ लोगों का ध्यान जाएगा।

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