Wednesday, October 8, 2014

संस्कृत स्कूलों में नहीं चलेगा भर्तियों का खेल

  • छात्र संख्या कम होने पर फंस सकती है भर्ती, भौतिक सत्यापन कराएगी सरकार
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त संस्कृत स्कूलों में शिक्षक या शिक्षणेत्तर कर्मियों की भर्ती के नाम पर होने वाले गोरखधंधे पर रोक लगाने की तैयारी है। शासन स्तर पर यह विचार चल रहा है कि भर्ती से पहले इन स्कूलों में छात्र संख्या का सत्यापन करा लिया जाए। अमूमन होता यह है कि स्कूल प्रबंधन कम छात्र संख्या होने के बाद भी भर्तियां कर लेता है, जबकि इन स्कूलों को सहायता देने का मकसद संस्कृत विषय को बढ़ावा देना है।
राज्य सरकार समय-समय पर संस्कृत स्कूलों को अनुदान पर लेती है। इसी साल 247 ऐसे स्कूलों को अनुदान पर लेने का निर्णय किया गया है। पहले ऐसे स्कूलों को अनुदान पर लेने के लिए 100 छात्रों की अनिवार्यता रखी गई थी, लेकिन कॉलेज प्रबंधन के दबाव में यह संख्या घटाकर 50 कर दी गई। प्रदेश में इसके अलावा पूर्व से 836 संस्कृत स्कूल चल रहे हैं। संस्कृत स्कूलों में एक प्रधानाचार्य, पांच अध्यापक, एक लिपिक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद हैं।
अमूमन होता यह है कि कॉलेज प्रबंधन शिक्षा अधिकारियों से मिलकर कम छात्र संख्या होने के बाद भी शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्तियां कर लेता है। शासन स्तर पर इस बारे में कई शिकायतें मिली हैं। इसलिए यह मंथन चल रहा है कि इन स्कूलों में भर्ती की ऐसी व्यवस्था बनाई जाए ताकि गोरखधंधे पर रोक लग सके। इसके लिए भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने का अनुमोदन देने से पहले स्कूलों में छात्र संख्या का सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन रजिस्टर से न कराकर भौतिक रूप से कराया जाएगा ताकि गड़बड़ी की गुंजाइश कम हो जाए।

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